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अभियान तीन.. दो डाक्टरों के हाथ 107 गांव के लोगों का स्वास्थ्य

देशराज चकरनगर विकास खंड के 107 गांव की आबादी के लिए 20 वर्ष पूर्व बनाए गए 30 बेड के

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 05:23 PM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 06:54 PM (IST)
अभियान तीन.. दो डाक्टरों के हाथ 107 गांव के लोगों का स्वास्थ्य
अभियान तीन.. दो डाक्टरों के हाथ 107 गांव के लोगों का स्वास्थ्य

देशराज, चकरनगर : विकास खंड के 107 गांव की आबादी के लिए 20 वर्ष पूर्व बनाए गए 30 बेड के चकरनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों का अभाव है। यह बीहड़ी क्षेत्र है। स्वीकृत छह डॉक्टरों के स्थान पर अधीक्षक सहित मात्र दो ही डॉक्टर मौजूद हैं। जो 24 घंटे में छह घंटे ही जनता की सेवा करते हैं। इसके अलावा चार फार्मासिस्ट के स्थान पर दो फार्मासिस्ट ही तैनात हैं। यहां पर आने वाले सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल लोग इलाज न मिलने के कारण अक्सर दम तोड़ देते हैं। केंद्र पर दवा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति है। नाममात्र को दवाई मिलती है। यहां पर तैनात डॉक्टर मरीजों को बचाने के लिए मजबूरन बाहर की दवाएं खरीदकर लाने के लिए कहते हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी मरीजों की कोई सुनने वाला नहीं है। डॉक्टरों के अभाव में गंवाते हैं जान मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजपुर में बना हुआ है जो चकरनगर से तीन किमी दूर भरेह सड़क मार्ग पर मौजूद है। यहां पर रात के समय किसी भी डॉक्टर ने आज तक ड्यूटी नहीं की है। रात्रि के समय सीएचसी से लौटने वाले मरीज अक्सर 60 किमी की दूरी तय कर गंभीर हालत में या तो इटावा मुख्यालय अथवा मध्य प्रदेश के भिड जनपद के मुख्यालय पर जाते हैं। अक्सर इलाज के अभाव में उनकी जान गवानी पड़ती है। जर्जर हो रहे आवास कहा जाता है कि जिन सूने पड़े मकानों में दीपक का उजाला नहीं होता है वह जल्द ही खंडहर में तब्दील हो जाते हैं। यही हाल यहां के केंद्र पर तैनात स्टाफ के लिए बनाए गए दो दर्जन से अधिक आवासों का है। इन आवासों पर फार्मासिस्ट के अलावा कोई नहीं रुकता है। सूने पड़े सभी आवास खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। एक दशक पूर्व तक तो यहां पर दस्यु सरगनाओं का राज था। जिनके भय से रात्रि तो दूर दिन में भी कोई कर्मचारी यहां पर आने को तैयार नहीं होता था। हालांकि आज परिस्थितियां बदली हुई हैं। क्या कहते हैं लोग पसिया गांव के प्रमुख समाजसेवी आलोक दुबे का कहना है कि प्रशासन को रात्रि के समय डॉक्टरों को रोकना चाहिए। जिससे कि गंभीर हालत वाले मरीजों को रात में बचाया जा सके। कोरोना काल के समय निजी अस्पताल बंद हैं ऐसे में सरकारी अस्पताल ही गरीबों का सहारा हैं। मिटहटी निवासी अरविद तिवारी का कहना है कि जिला प्रशासन को 24 घंटे इमरजेंसी सेवा से लेकर दवाइयों की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। बीहड़ी क्षेत्र में गरीब लोग रहते हैं, यहां पर लोगों के पास धन नहीं हैं, ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना मुश्किल है। हनुमंतपुर व्यापार मंडल के अध्यक्ष उमेश भदौरिया का कहना है कि यह क्षेत्र संसाधन विहीन है। यहां पर नर्सिंग होम भी नहीं हैं। गंभीर हालत में मरीजों को 60 से 70 किमी दूर जिला मुख्यालय पर ले जाना पड़ता है तब तक वह अपनी जान गवां देता है। प्रशासन को 24 घंटे डॉक्टरों की सेवा उपलब्ध करानी चाहिए। चकरनगर निवासी समाजसेवी वीर सिंह यादव का कहना है की डॉक्टर तो मात्र छह घंटे ही रुकते हैं। यहां पर दवाएं पूरी नहीं हैं। सरकार को जो अव्यवस्थाएं हैं उनको दूर करने के इंतजाम करने चाहिए।

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स्वास्थ्य केंद्र पर दवाएं तो लगभग सभी उपलब्ध हैं। रात्रि के समय जिस स्टाफ की ड्यूटी लगाई जाती है वह रुकता है। ग्रामीण क्षेत्र है इसलिए रात के समय लोग रुकना पसंद नहीं करते हैं, पानी, बिजली की समस्या भी न रुकने का मुख्य कारण है। डॉ. उदय प्रताप सिंह, अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चकरनगर


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