भूख-प्यास से व्याकुल किसान, फिर भी खाद नहीं
संवादसूत्र ऊसराहार ताखा तहसील क्षेत्र में खाद के लिए किसानों को भारी किल्लत का सामना कर
संवादसूत्र, ऊसराहार :
ताखा तहसील क्षेत्र में खाद के लिए किसानों को भारी किल्लत का सामना करना पड़् रहा है। कस्बा ऊसराहार में सहकारी समिति और संघ से तीन दिन से खाद के लिए भटक रहे भूख-प्यास से व्याकुल 500 से अधिक किसानों को बुधवार को भी खाली हाथ लौटना पड़ा।
क्षेत्रीय किसान सुबह से ही खाना पीना छोड़कर समिति और संघ पर कतार लगाकर बैठ जाते हैं और देर शाम तक खाद नही मिलने पर वह खाली हाथ लौट जाते हैं। कई किसानों ने बताया सहकारी समिति पर कई ट्रक डीएपी आ चुकी है जो पर्दे के पीछे कालाबाजारी करके बांट दी जाती है जबकि हम लोग खाली हाथ वापस लौट जाते हैं। बुधवार को सहकारी समिति पर एक भी बोरी खाद नही थी फिर भी सैकडों की संख्या में किसान खाद के इंतजार मे दोपहर बाद तक बैठे रहे जबकि संघ पर मात्र सौ बोरी डीएपी थीं। किसान खाद पाने के लिए एक दूसरे से भिड़े जा रहे थे। किसानों की भीड़ की सूचना पर ताखा तहसीलदार जगदीश सिंह थानाध्यक्ष ऊसराहर गंगादास गौतम मौके पर पहुंचे जिन्होंने किसानों को समझाया तब जाकर 100 बोरी खाद वितरित हो पाई। किसान रामनिवास कश्यप भरतपुर खुर्द, विजयेंद्र निवासी नगला भगे ने बताया कि तीन दिन से खाद के लिए भटक रहे हैं लेकिन खाद नही मिल पा रही है। कई किसानों ने तहसीलदार से समिति पर तैनात सचिव की शिकायत करते हुए कहा कि पूरी खाद पर्दे के पीछे भारी दामो मे बेचते हैं। किसान बनकर चार दिन पहले खाद ले गया था वह रोज एक बोरी ले जा रहा है और जो किसान चार दिन पहले खाली हाथ लौटा था वह आज भी खाली हाथ लौट रहा है इसलिए टोकन की व्यवस्था कर दी जाए जिससे सभी किसानों को खाद मिल सके। सचिव राकेश यादव ने बताया 1200 बोरी खाद की डिमांड लगी हुई है खाद आते ही वितरित की जाएगी। तहसीलदार ने बताया वे कोशिश कर रहे हैं कि खाद का वितरण पारदर्शिता से किया जाए जिससे सभी किसानों को खाद मिल सके। खाद मिली नहीं, पांच हजाए गए
किसान अनिल कुमार चौहान ने बताया वह चार दिन से डीएपी खाद के लिए भटक रहे हैं खाद नहीं मिल पा रही है। बुधवार को वह सुबह से ही खाद के लिए कतार में बैठे रहे। खाद तो नही मिली जेब में रखे पांच हजार रुपये कहीं गिर गए। किसानों को कम, ब्लैक ज्यादा भारतीय किसान संगठन के जिलाध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता ने बताया ऊसराहार में किसानों को बोआई के समय खाद नही मिल पा रही है, रोजाना किसान खाली हाथ लौट रहे हैं और जो खाद आती भी है उसमें किसानों को कम मिलती है ब्लैक ज्यादा हो जाती है।