पुलिस के कहने पर मासूम को आगरा से ले आया पिता
जागरण संवाददाता इटावा आगरा में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे चार माह 26 दिन के मासू
जागरण संवाददाता, इटावा : आगरा में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे चार माह 26 दिन के मासूम राघव यादव को उसके पिता रंजीत सिंह सिनर्जी प्लस हास्पिटल आगरा से शुक्रवार शाम को ले आए। वह रुपये के अभाव और चिकित्सकों के बच्चे का जीवन खतरे में बताने पर निराश होकर छोड़ आए थे लेकिन पुलिस ने इलाज से लाभ होने की जानकारी दी तो वह उसे ले आए। यहां उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में इलाज से मना किये जाने पर वह शुक्रवार रात लखनऊ ले गए और मासूम को किग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ में भर्ती कराया।
जसवंतनगर के ग्राम जौनई निवासी रंजीत सिंह ने बताया कि बेटे राघव को उल्टी, बुखार और शौच के रास्ते खून आने की शिकायत पर वह 19 जनवरी को उसे आगरा के सिनर्जी प्लस हास्पिटल गए थे। शुरूआत में 10 हजार रुपये जमा किए थे लेकिन इलाज सही ढंग से नहीं हुआ और आपरेशन की बात कही गई। 20 जनवरी को बेटे को आइसीयू में ले जाया गया और थोड़ी देर बाद वहां पर आए एक डाक्टर ने उसके जीवन पर खतरा बताया। इस पर वे लोग निराश हो गए। अस्पताल प्रबंधन ने उनसे 15 हजार रुपये और जमा कराने को कहा गया। उनके पास केवल पांच हजार रुपये थे। वे रुपये के अभाव में बेटे को छोड़कर आ गए थे। उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूल में नौकरी करते थे लेकिन कोरोनाकाल से घर पर ही बैठे हैं और कोई काम नहीं कर रहे हैं। उनकी पत्नी अंशु यादव व दो पुत्रियां नौ वर्षीय गुंजर व और सात वर्षीय ऋचा साथ हैं।
शुक्रवार को जसवंतनगर थाने की पुलिस उनके पास पहुंची और उन्हें जानकारी दी कि उनका बच्चा जीवित है, अस्पताल से ले आओ। इस पर वह अस्पताल में शाम को पहुंचे तो वहां के गार्ड ने उनसे मारपीट की। हालांकि बिना पैसा दिए ही वह अपने बच्चे को लेकर उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई पहुंचे जहां पर समुचित इलाज न मिलने पर वह लखनऊ ले गए।
आंत की बीमारी है बच्चे
रंजीत ने बताया कि बेटे राघव को आंत की बीमारी है। उसकी आंतें उलझ गई हैं। रंजीत ने बताया कि लखनऊ में बच्चे को इलाज मिला तो उसकी जान बच जाएगी।