उन्नतिशील बीज से बदली किसानों की किस्मत
संवाद सहयोगी, ऊसराहार : कृषि में कम उपज से पलायन करने वाले किसानों के लिए मसीहा बने नगल
संवाद सहयोगी, ऊसराहार : कृषि में कम उपज से पलायन करने वाले किसानों के लिए मसीहा बने नगला चतुर के किसान कमलेश चौहान ने गांव में ही उन्नतिशील बीज तैयार कर किसानों की आय में बढ़ोतरी कर दी है। नौ वर्ष पहले खेतों में उन्नतिशील गेहूं का बीज तैयार करने की मुहिम चलाई और ऐसे बीज उत्पन्न कर दिए जिससे उपज में वृद्धि हो गई। साथी किसानों को सस्ते दर पर बीज उपलब्ध कराकर उनके जीवन में भी खुशहाली लाने का काम किया। उनके खेतों में तैयार बीज से उत्तर प्रदेश ही नहीं मध्य प्रदेश तक के खेतों में भी फसलें लहलहाती हैं। कृषि विश्वविद्यालयों से प्रशिक्षण प्राप्त कमलेश किसानों को जैविक खेती की सलाह देते हैं। अपने अभिनव प्रयास के लिए उन्हें अनेक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने उन्नत खेती का मंत्र देकर ताखा ब्लाक के किसानों की दिशा मोड़ दी। अब सैकड़ों किसान अपने खेतों में उन्नत बीज तैयार करने लगे हैं। कमलेश बताते हैं शुरुआत में पांच बीघा खेत में गेहूं का बीज तैयार किया और कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लिया जिसके बाद खेतों में फसल के लिए उसी बीज का प्रयोग किया तो बहुत अच्छी फसल तैयार हुई। इसके बाद चंद्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय कानपुर एवं झांसी के चिरगांव से प्रशिक्षण लेकर गांव में चंद्रशेखर स्वयं सहायता समूह की स्थापना की। 11 किसानों को सदस्य बनाकर जोड़ लिया। समूह के किसानों ने मिलकर काम किया तो सैकड़ों बीघा गेहूं की फसल बीज के रूप में तैयार हो गई। उसी गेहूं को गांव के किसानों को बाजार में बिकने वाले बीज से लगभग 40 फीसद कम दर पर बेचा जिससे बीज उत्पादन करने वाले किसानों को भी अच्छी आय होने लगी। कमलेश बताते हैं वह बीज को पै¨कग न करके आधारीय एफ वन एवं एफ टू के आधार पर अपनी जिम्मेदारी पर किसानों को कम लागत पर देते हैं। बाजार में जहां बीज की कीमत तीस रुपये किलो से भी ज्यादा है वहीं वह बीस रुपये किलो में बीज देते हैं। वर्तमान में उनसे इटावा, औरैया, मैनपुरी सहित प्रदेश के अनेक जिलों के साथ मध्य प्रदेश के कई किसान जुड़े हैं, जो कम लागत में अच्छा उत्पादन कर रहे हैं। कमलेश बताते हैं वह सबसे ज्यादा गेहूं के 507 का बीज तैयार करते हैं, जो कम पानी में भी अच्छी उपज तैयार करता है। एक हेक्टेयर में करीब 60 ¨क्वटल से भी अधिक तक उपज तैयार हो जाती है।