Move to Jagran APP

इटावा के ऐतिहासिक कालिका देवी मंदिर तालाब अब प्रदूषित

संवादसूत्र बकेवर लखना का ऐतिहासिक कालिका देवी मंदिर तालाब अब प्रदूषित हो चला है। आस्था स

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 05:00 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 06:36 PM (IST)
इटावा के ऐतिहासिक कालिका देवी मंदिर तालाब अब प्रदूषित
इटावा के ऐतिहासिक कालिका देवी मंदिर तालाब अब प्रदूषित

संवादसूत्र, बकेवर : लखना का ऐतिहासिक कालिका देवी मंदिर तालाब अब प्रदूषित हो चला है। आस्था से जुड़े हुए इस तालाब की ओर अभी तक किसी की नजर नहीं गई है। तालाब का उचित रखरखाव न होने के कारण गंदगी से पटा पड़ा है। पानी पर काई जम चुकी है और यहां की बदबू श्रद्धालुओं को परेशान कर रही है। डेढ़ सौ साल पुराना यह तालाब हिदू मुस्लिम दोनों समुदाय के लिए आस्था का केंद्र रहा है। इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखता। मान्यता यह रही है कि तालाब के पानी में इतनी तासीर है कि त्वचा संबंधित कई रोग केवल पानी से धो देने पर ही ठीक हो जाते हैं। इसलिए आज भी लोग दूर दूर से अपनी बीमारियों के इलाज के लिए यहां पर आते हैं। अब घनी बस्ती और अतिक्रमण के चलते ऐतिहासिक तालाब का अस्तित्व भी समाप्त होने लगा है। इस तालाब का जुड़ाव भोगनीपुर नहर से था। नाले के रास्ते से ही भोगनीपुर नहर का पानी तालाब में आया करता था। लेकिन अतिक्रमणकारियों ने नाले पर कब्जा करके उसे पाट दिया। श्रद्धालुओं का मानना है कि कालिका देवी की पूजा-अर्चना से पूर्व इस तालाब में स्नान या आचमन करना जरूरी है। तभी कालिका देवी अपने भक्तों की मन्नत पूरी करती हैं। देवी भक्त तालाब में स्नान और जल से आचमन करके ही देवी माता की पूजा करते हैं। देवी भक्त तालाब के पानी को गंगा जल की तरह पवित्र मानकर बोतलों में भर कर अपने साथ भी ले जाते हैं। कालिका देवी मेला प्रबंधक लखना राज रविशंकर शुक्ला ने बताया कि समय-समय पर तालाब की सफाई कराई जाती है, लेकिन यह गंदगी तालाब के आसपास रहने वाले लोगों ने फैलाई है जिससे तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है। तालाब में गंदगी के चलते होती हैं मौतें इस ऐतिहासिक तालाब में भारी गंदगी और तालाब की तलहटी में दलदल होने के कारण प्रत्येक वर्ष एक न एक श्रृद्धालु की मौत होती रहती है। इस बार भी शारदीय नवरात्र के मौके पर औरैया जिले के दिबियापुर क्षेत्र के मुकेश नामक युवक की मृत्यु भी तालाब के दलदल मे फंसने से हुई थी। नगर पंचायत ने की थी सफाई कालिका देवी मंदिर सन 1857 में अस्तित्व में आया था और लखना स्टेट के तत्कालीन राजा जसवंत राव ने कालिका देवी मंदिर के निर्माण के साथ पास में ही राजस्थान शैली में विशाल पक्का तालाब का निर्माण कराया था। कस्बा की बढ़ती जनसंख्या और आबादी के घनत्व के चलते यह तालाब अतिक्रमण का शिकार हो गया। पानी में गंदगी पनपने से इसके पानी में पलने वाले जीव भी नष्ट हो गए। समय की मार के चलते तालाब का पवित्र समझे जाने वाले पानी से देवी भक्त आचमन तो दूर उसका स्पर्श करने से कतराने लगे। गंदगी से बदहाल तालाब को नगर पंचायत अध्यक्ष डॉ. समीर प्रकाश त्रिपाठी ने देखा तो उन्होंने तालाब को तरीझार साफ कराने का संकल्प लिया। तालाब को खाली कराकर उससे मलबा निकाले जाने का कार्य भी शुरू किया गया मगर तालाब के किनारे बस्ती का घनत्व अधिक होने के कारण तालाब की सफाई की यह मुहिम ठंडी पड़ गयी।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.