मधुमेह, हार्ट अटैक के मरीजों को सोच समझकर देना चाहिए स्टेरॉयड
जागरण संवाददाता इटावा कोरोना को लेकर चल रहे इलाज के प्रोटोकॉल में भी समस्याएं सामने अ
जागरण संवाददाता, इटावा : कोरोना को लेकर चल रहे इलाज के प्रोटोकॉल में भी समस्याएं सामने आ रहीं हैं। मसलन कोरोना निगेटिव करने के चक्कर में डॉक्टर धड़ाधड़ स्टेरॉयड दिए जा रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेंट्रल कउंसिल के सदस्य व वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एमएम पालीवाल ने कहा कि डायबिटीज व हार्ट अटैक के मरीज को बहुत सोच समझकर स्टेरॉयड दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि रुटीन में इनका इस्तेमाल कतई नहीं किया जाना चाहिए। अलग-अलग क्वालिटी के स्टेरॉयड अलग-अलग क्षमता से दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि डायबिटीज के मरीजों को अगर स्टेरॉयड दिया जाएगा तो इंसुलिन भी देनी पड़ेगी। कोशिश यह की जाए कि इसको न दिया जाए। मिथाइल प्री ऑक्सोल स्टेरॉयड 25 एमजी तक व डेक्सामीथा सोल 8 एमजी तक दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्टेरॉयड इम्युनिटी को कम करता है और शरीर के डिफेंस सिस्टम को कमजोर भी करता है। यह जिदगी बचाने की दवाई है लेकिन इसको रुटीन में नहीं दिया जा सकता है। ऑक्सीजन सपोर्ट है, इलाज नहीं डॉ. एमएम पालीवाल ने कहा कि ऑक्सीजन को लेकर पूरे देश में हाय तौबा मची हुई है लोगों को यह समझना चाहिए कि ऑक्सीजन केवल सपोर्ट है इलाज नहीं। अगर अॅक्सीजन की जरूरत है तो डॉक्टर की निगरानी में ही होनी चाहिए। 92, 93 ब्लड ऑक्सीजन लेवल आ रहा है तो थोड़ी-थोड़ी देर पर ऑक्सीजन देनी चाहिए। अगर 90 से कम है तो एक-एक घंटे के लिए ऑक्सीजन देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार यह देखने में आता है कि लोगों का ब्लड ऑक्सीजन लेवल 95 से ऊपर भी है उसके बाद भी लोग ऑक्सीजन ले रहे हैं यह उनके फेफड़ों को नुकसान कर रहा है। खुली हवा में अगर आपको संतुष्टि मिलती है तो कोई दिक्कत नहीं है। कुछ मरीजों को मास्क पहनने में दिक्कत हो सकती है वह अलग कमरे में आइसोलेटिड हो जाएं और मास्क न पहनें तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर फायदे की चीज है यह पानी व हवा से ऑक्सीजन का निर्माण करता है। जो फायदेमंद साबित हुआ है। इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। कोरोना वैक्सीन से ही वायरस का बचाव है।