मौसम है होलियाना पर चुनावी रंग न लगाना
जागरण संवाददाता इटावा फाल्गुन का महीना है तो मौसम का होलियाना होना लाजिमी है। मतदाताओं क
जागरण संवाददाता, इटावा : फाल्गुन का महीना है तो मौसम का होलियाना होना लाजिमी है। मतदाताओं को उम्मीदवारों के चेहरों से रूबरू होने की बेचैनी नहीं है तो राजनीतिक दल भी टिकट फाइनल करने की जल्दबाजी में नजर नहीं आते। जल्दी कैसी, इटावा संसदीय सीट का चुनाव तो चौथे चरण में होना है। इसलिए मतदाता रंगों में सराबोर होकर हुरियाने के मूड में है तो टिकटार्थी दिल्ली और लखनऊ में जोर आजमाइश में जुटे हैं।
होली के बाद मौसम में तपिश घुलने के साथ ही चुनावी गर्माहट बढ़ने की उम्मीद है। तब तक सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से उम्मीदवारों के चेहरे सामने आ चुके होंगे। अभी राजनीतिक दलों का केंद्रीय नेतृत्व पहले से तीसरे चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने में मंथन कर रहा है। इटावा संसदीय क्षेत्र में चौथे चरण में चुनाव होना है। अब तक सिर्फ सपा-बसपा गठबंधन से कमलेश कठेरिया मैदान में हैं। वे होली के बहाने मतदाताओं को रंग लगाने का मौका नहीं गंवाना चाहते, इसलिए उन्होंने होली पर ज्यादा से ज्यादा मतदाताओें से संपर्क करने और आशीर्वाद प्राप्त करने की रणनीति बना ली है।
मगर, कार्यकर्ताओं में बेचैनी
भाजपा, प्रसपा और कांग्रेस से उम्मीदवार तय होने की देरी से इन दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढ़ी है। दरअसल, कार्यकर्ता होली के बहाने मतदाताओं को अपने रंग में रंगना चाहते हैं। यह सोचकर उलझन बढ़ी हुई है कि अगर मतदाताओं ने उम्मीदवार के बारे में पूछ लिया तो क्या जवाब देंगे। उम्मीदवार फाइनल होने में जितनी देरी होगी उतनी ज्यादा बेचैनी बढ़ती जाएगी। इटावा संसदीय क्षेत्र तीन जिलों इटावा, औरैया व कानपुर देहात में विस्तारित है। कम वक्त में पांच विधानसभा क्षेत्रों की जमीन को नापना बड़ी चुनौती होगी।