चंबल नदी में बाढ़ में बहे घड़ियालों के बच्चे
जागरण संवाददाता इटावा राष्ट्रीय चंबल सैंक्चुअरी में आई बाढ़ घड़ियालों के बच्चों पर आफ
जागरण संवाददाता, इटावा : राष्ट्रीय चंबल सैंक्चुअरी में आई बाढ़ घड़ियालों के बच्चों पर आफत आई है। इस वर्ष जून में चंबल नदी में हुई गणना में घड़ियालों के 4050 बच्चों की जानकारी सामने आई थी लेकिन वह सभी प्राकृतिक आपदा का शिकार होकर तेज बहाव में बह गए। वैसे भी जन्म के बाद केवल पांच फीसद घड़ियालों के जीवित रहने की उम्मीद रहती है।
लखनऊ के कुकरैल से करीब 1500 घड़ियालों के बच्चे भी इस वर्ष लाकर छोड़े गए थे लेकिन जलस्तर बढ़ने से अब इनकी जिंदगी खतरे में पड़ गई। दरअसल नदी के किनारे ही घड़ियाल घोसले बनाते हैं और बच्चे यहीं रहते हैं। इस बार चंबल नदी का जलस्तर उम्मीद से ज्यादा बढ़ने के कारण व तेज बहाव होने के कारण लगभग सारे बच्चों के बहने की आशंका है। चंबल के एक गांव निवासी महेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि इस समय बढ़े हुए जलस्तर में कोई भी जीव नहीं दिखाई दे रहा है। बस चारों तरफ पानी-पानी ही है।
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घड़ियालों के बच्चों को चंबल में पानी के तेज बहाव से नुकसान पहुंचा है। छोटे बच्चों के बचने की उम्मीद न के बराबर है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में भी काफी पानी चंबल में आया था तब का आकलन है कि बड़े घड़ियाल बचे थे। इस वर्ष भी उम्मीद है कि बड़े घड़ियाल अपने ठिकानों पर लौट आएंगे। चंबल में इस वक्त घड़ियालों की संख्या 1910 व मगरमच्छों की संख्या 820 है।
दिवाकर श्रीवास्तव, प्रभागीय वन अधिकारी, चंबल सैंक्चुअरी आगरा
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बारिश से ढह गई छत
संवाद सहयोगी, जसवंतनगर : क्षेत्र में हुई तेज बारिश से कई जगहों पर जलभराव होने के साथ मोहल्ला लुधपुरा की रिहाना बेगम पत्नी मोहम्मद खलील व उनके देवर मोहम्मद तौहीर के लकड़ी-मिट्टी से बने मकान की छत ढह गई जिससे दो बच्चियां मलबे में दब गईं। छत गिरने की तेज आवाज तथा चीख-पुकार से पड़ोसी शीघ्रता से मौके पर पहुंच गए जिन्होंने सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया था। लेकिन घर गृहस्थी का सामान दबकर नष्ट हो गया। पीड़ित परिवार ने प्रशासन व तहसील के अधिकारियों से आर्थिक मदद की मांग की है।