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ग्यारहवें इमाम की शहादत पर हुई अलविदाई मजलिस

जासं इटावा महेरा चुंगी स्थित दरगाह ह•ारत अब्बास पर इमाम हसन अस्करी की शहादत पर मरहू

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 08:03 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 05:08 AM (IST)
ग्यारहवें इमाम की शहादत पर हुई अलविदाई मजलिस
ग्यारहवें इमाम की शहादत पर हुई अलविदाई मजलिस

जासं, इटावा : महेरा चुंगी स्थित दरगाह ह•ारत अब्बास पर इमाम हसन अस्करी की शहादत पर मरहूमा विरासत बेगम द्वारा स्थापित सालाना अलविदाई मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें इमाम के ताबूत की जियारत बरामद की गई।

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मजलिस में तकरीर करते हुए मौलाना सैयद अनवारुल हसन जैदी ने कहा कि ग्यारहवें इमाम का नाम हसन अस्करी है। इमाम खूबसूरती और बहादुरी में किसी से कम नहीं थे। इमाम पैदाइश दस रबीउल अव्बल सन 232 को हुई और आठ रबीउल अव्बल सन 260 को उनकी शहादत हुई। इमाम 28 साल जिदा रहे। सामरा में इमाम हसन की कब्र है। इमाम को सामरा के वीरान कैदखाने में रखा गया। सबसे ज्यादा कैद में इमाम को रखा गया। उन्होंने कहा कि पड़ोसियों की खिदमत, गरीबों मजलूमों की मदद भी इबादत है। ग्यारहवें इमाम हसन अस्करी के ताबूत को राहत अ़कील, शावे•ा ऩकवी, विकार हुसैन शन्नू, कैसर हुसैन व अलम को ताहा और अदनान मस्जिद से दरगाह लेकर आए। मजलिस में तनवीर हसन, आलिम रिजवी ने नोहाख्वानी की।


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