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आनलाइन ट्रांजेक्शन में 2.65 लाख की ठगी

जासं इटावा सुशील कुमार सविता जनसेवा केंद्र के संचालक हैं। घर के खर्चे बढ़े तो आय बढ़

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 06:59 PM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 06:59 PM (IST)
आनलाइन ट्रांजेक्शन में 2.65 लाख की ठगी
आनलाइन ट्रांजेक्शन में 2.65 लाख की ठगी

जासं, इटावा : सुशील कुमार सविता जनसेवा केंद्र के संचालक हैं। घर के खर्चे बढ़े, तो आय बढ़ाने के लिए बैंक ग्राहक सेवा केंद्र खोलने की प्रक्रिया शुरू की। भारतीय स्टेट बैंक में संपर्क करने के बाद आनलाइन आवेदन के लिए जो वेबसाइट बताई गई, वह बैंक की उस आधिकारिक वेबसाइट को सर्च करने के बजाय फेंक वेबसाइट का सर्च कर बैठे। नतीजतन साइबर अपराधियों ने उनको झांसा देकर ऐसा उलझाया कि फिर वे निकल सके। एक के बाद एक आनलाइन ट्रांजेक्शन में जमा पूंजी 2.65 लाख गंवा बैठे और हाथ झाड़कर रह गए। जब ठगी का अहसास हुआ, तब तक देर हो चुकी थी। साइबर अपराधी अब भी एग्रीमेंट के लिए धनराशि के डिमांड करते हुए फोन करते हैं। पुलिस से मदद मिलने के बजाय ऐसे फेक काल रिसीव न करने की सलाह मिलती है। ऐसे में वह तनाव में रहते हैं। अब फेक काल रिसीव नहीं करके तनाव से मुक्त रहने की कोशिश करते हैं। नगर के मोहल्ला लालपुरा पंजैया निवासी सुशील कुमार सविता साइबर ठगी को लेकर कार्रवाई के लिए एक वर्ष से अधिकारियों के दरवाजे खटखटाते और कार्यालयों के चक्कर काटते-काटते थक-हार चुके हैं। यह मानकर हाथ पर हाथ धरकर बैठ गए कि गई रकम अब मिलने वाली नहीं है। वह बताते हैं कि पिछले वर्ष 27 अगस्त से पांच सितंबर के मध्य साइबर ठगों द्वारा उनसे 2,65,600 रुपये की ठगी की है। उन्होंने तब एसएसपी एवं साइबर सेल को भी सूचना दी, कितु एफआईआर दर्ज नहीं की गई और न ही साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए आवश्यक कार्रवाई की गई। साइबर अपराधी अभी भी उनके फोन एवं वाट्सएप पर संपर्क करके और रुपये की मांग करके परेशान करते हैं। सुशील बताते हैं उनके प्रकरण में सिटी मजिस्ट्रेट उमेश चंद्र मिश्रा ने जांच के निर्देश दिए थे। सुशील ने एसएसपी को दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि उनके प्रकरण की जांच साइबर सेल द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में ही पूरी कर ली गई। उनको बताया गया कि फाइल को आवश्यक कार्रवाई के लिए सीओ सिटी के कार्यालय में पांच दिसंबर 2020 को ही भेज दिया गया है। जब सीओ सिटी कार्यालय में जाकर अपनी फाइल के बारे में कई बार जानकारी की गई तो फाइल न आना बताया गया। साइबर सेल के कर्मियों द्वारा बार-बार सीओ सिटी कार्यालय में ही जानकारी करने को कहा जाता है। आखिरकार दोनों कार्यालयों के चक्कर लगाते-लगाते हताश-निराश हो गए।

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