12.50 लाख के घोटाले में लेखाकार समेत पांच पर मुकदमा
संवाद सूत्र ऊसराहार (इटावा) फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कागज पर पौधारोपण दिखाकर साढ
संवाद सूत्र, ऊसराहार (इटावा) : फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कागज पर पौधारोपण दिखाकर साढ़े 12 लाख रुपये का घोटाला करने के आरोपित लेखाकार, लेखा सहायक मनरेगा के साथ ही तीन फर्मो के संचालकों पर धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इससे पहले पशु टीनशेड में लाखों के घोटाले के मामले में महज आठ दिन पहले ही लेखाकार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है।
विकासखंड ताखा में लाकडाउन के दौरान कागजों पर 17 ग्राम पंचायतों में साढे़ 12 लाख रुपये का पौधरोपण के नाम पर मनरेगा का धन डकार लिया गया। पूरे मामले को जब मीडिया ने परत दर परत खोला तो सीडीओ राजा गणपति आर ने जांच के आदेश दिए। जांच में घोटाला उजागर होने के बाद शुक्रवार रात खंड विकास अधिकारी ताखा प्रेमनाथ यादव ने कार्यालय में तैनात लेखाकार धर्मेद्र कुमार वर्मा, तत्कालीन लेखा सहायक मनरेगा शिवशंकर शर्मा व ग्रीन वर्ल्ड नर्सरी ततारपुर मिरहची एटा के संचालक प्रेम सिंह व उसके पुत्र राकेश और प्रियंका ट्रेडर्स जसवंतनगर के प्रोपराइटर यादवेंद्र सिंह के खिलाफ संगीन धाराओं मे मुकदमा दर्ज कराया है। बीडीओ ने बताया कि लेखाकार धर्मेद्र ने लेखा सहायक मनरेगा शिवशंकर और उपरोक्त फर्मो के साथ साठगांठ कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर मनरेगा की साइट पर फर्जी बिल बाउचर फीड कर दिए। लेखाकार ने अपने डोंगल से डिजिटल सिग्नेचर कर कार्यक्रम अधिकारी, खंड विकास अधिकारी को भुगतान के लिए फाइल अग्रसारित कर दी। इसलिए द्वितीय भुगतान अधिकारी के रूप में कार्यक्रम अधिकारी ने भी भुगतान कर दिया। इससे ग्रीन वर्ल्ड नर्सरी एटा को 11 लाख 53 हजार 242 रुपये व प्रियंका ट्रेडर्स जसवंतनगर को 91 हजार 590 रुपये समेत 12 लाख 44 हजार 833 रुपये का भुगतान किया गया।
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इन धाराओं में लिखी गई रिपोर्ट
थाना पुलिस ने बीडीओ की तहरीर पर फर्मो, लेखाकार व लेखा सहायक मनरेगा के खिलाफ आइपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 409 एवं भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 व 8 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। थानाध्यक्ष गगन कुमार गौड़ ने बताया कि जांच की जा रही है। बीडीओ को नहीं मिली क्लीनचिट, उन्हीं की तहरीर पर मुकदमा
पौधारोपण घोटाले में जांच अधिकारी डीडीओ डीके वर्मा की ओर से सीडीओ को दी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि अंतिम भुगतान खंड विकास अधिकारी के द्वारा किया गया। इसलिए उनके दायित्वों से उन्हें मुक्त नहीं किया जा सकता है। मतलब साफ है कि पूरे मामले में बीडीओ की भूमिका भी संदिग्ध रही है। जिस तारीख में लेखाकार ने उक्त फर्मो को भुगतान के लिए बीडीओ को अग्रसारित किया था, उसी दिन बीडीओ ने भी अपने डोंगल से अंतिम भुगतान कर दिया। साढे़ 12 लाख रुपये के पौधारोपण मामले में उन्होंने एक भी जगह स्थलीय निरीक्षण करना जरूरी नहीं समझा। शायद इसीलिए जांच अधिकारी ने भी बीडीओ को क्लीनचिट नहीं दी थी, लेकिन इसके बाद भी पूरे मामले में उन्ही के द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिससे सवाल खड़ा हो गया है।