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पौधारोपण के नाम पर डकार लिए साढ़े 12 लाख

-ताखा में एक वर्ष पहले ही हुई थी लेखाकार की नियुक्ति -पशु टीन शेड घोटाले में लेखाकार

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 04:57 PM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 04:57 PM (IST)
पौधारोपण के नाम पर डकार लिए साढ़े 12 लाख
पौधारोपण के नाम पर डकार लिए साढ़े 12 लाख

-ताखा में एक वर्ष पहले ही हुई थी लेखाकार की नियुक्ति

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-पशु टीन शेड घोटाले में लेखाकार के खिलाफ हो चुका है मुकदमा दर्ज फोटो नं. 8 संवाद सूत्र, ऊसराहार : ताखा की सत्रह ग्राम पंचायतों से साढ़े बारह लाख रुपये का पौधारोपण के नाम पर घोटाला सामने आया है। प्रशासन अब लिपिक द्वारा किए गए भुगतान की जांच में जुटा है।

ताखा में पशुटीन शेड में घोटाले के बाद जांच में दोषी पाए गए लेखाकार धर्मेद्र कुमार के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज होने के चार दिन बाद ही इसी लिपिक का दूसरा पौधरोपण के नाम पर मनरेगा से साढ़े बारह लाख रुपये का घोटाला उजागर हुआ है। माना जा रहा है प्रशासन शीघ्र ही इस घोटाले में भी लिपिक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराएगा। दरअसल ताखा की सभी ग्राम पंचायतों में निशुल्क पौधारोपण का कार्य किया गया था इसी बीच ब्लाक पर तैनात लेखाकार ने ताखा की सत्रह ग्राम पंचायतों में फर्जी बिल लगाकर ग्रीन व‌र्ल्ड नर्सरी एटा को 11 लाख 53 हजार 242 रुपये का भुगतान करा दिया। जबकि केशोपुर ग्राम पंचायत में पौधरोपण के नाम पर 91 हजार 590 रुपये का भुगतान बिल्डिग मैटेरियल का काम करने वाली फर्म प्रियंका ट्रेडर्स जसवंतनगर को कर दिया। इसकी भनक सत्रह ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधान और सचिवों तक को नहीं हुई। पूरे मामले उजागर तब हुआ जब कुछ सचिवों ने मनरेगा की वेबसाइट पर पड़े इन बिलों के भुगतान को देखा। बताया जाता है ताखा में एक वर्ष पहले ही लेखाकार के पद पर धमर्ेंद्र की तैनाती हुई थी।

बताया जाता है तैनाती के कुछ दिन बाद ही उसने घोटाले का चक्रव्यूह रचना शुरू कर दिया और मौका मिलते ही उसने पशुशेड व पौधारोपण के नाम पर लाखों का घोटाला कर डाला। पौधारोपण घोटाले में उसने ग्रीन व‌र्ल्ड नर्सरी ततारपुर एटा को चुना और फर्जी बिल के सहारे साढ़े बारह लाख रुपये की धनराशि पहले अपने डोंगल का प्रयोग कर और बाद में बीडीओ के डोंगल से पास करवा ली। जिसके बाद मनरेगा के रुपये का बंदरबांट कर हुआ। सूत्र बताते हैं कि साढ़े बारह लाख रुपये में 11 लाख 53 हजार 242 रुपये ग्रीन व‌र्ल्ड नर्सरी द्वारा भुगतान करके निकाला भी जा चुका है। जिसमें उसने आठ लाख रुपया लेखाकार को दे दिया जबकि साढ़े तीन लाख रुपये नर्सरी बाला फ्री में इस बात के पा गया कि भुगतान को उसने अपने खाते में जमा कराया था। फर्मों के खातों के भुगतान पर लगी रोक : पूरे मामले की जानकारी खंड विकास अधिकारी ताखा पीएन यादव को हुई तो उन्होंने खातों को खंगाला और ग्रीन व‌र्ल्ड नर्सरी एटा के खातों को भी खंगाला है। जांच होने तक उसके खाते पर रोक लगा दी है। जबकि बिल्डिग मैटेरियल जसवंतनगर की फर्म प्रियंका ट्रेडर्स के खाते में भेजे गए 91 हजार 590 रुपये को होल्ड करा दिया गया है। उन्होंने बताया कि पूरा भुगतान लिपिक धर्मेद्र ने फर्जी बिल लगाकर किया। भुगतान के लिए उसने पहले अपने डोंगल का प्रयोग किया जबकि चेकर की जिम्मेदारी लिपिक की होती है। बीडीओ का डोंगल लिपिक के डोंगल को लगाने के बाद ही लगाया जाता है। लेकिन बीडीओ ने सभी बिलों को आखिर बिना जानकारी लिए कैसे पास कर दिया यह भी जांच का विषय है। इस तरह किया जाना चाहिए था पौधारोपण : नियमानुसार किसी भी पंचायत में पौधरोपण के लिए पहले उस पंचायत के सचिव व प्रधान प्रस्ताव बनाकर काम करते हैं जिसके बाद बिल बाउचर को सहायक लेखा के पास भेजा जाता है, चूंकि सहायक के पद पर संविदा कर्मचारी ही तैनात हैं इसलिए सहायक लेखा इनको आगे लेखाकार के पास भेज देता है। लेखाकार को ही चेकर माना जाता है। इसलिए पूरी जांच के बाद ही लेखाकार अपने डोंगल का प्रयोग कर उसे अंतिम भुगतान के लिए बीडीओ को भेजता है। चूंकि पीछे के पटल पर पूरी छानबीन के बाद बीडीओ के पटल पर भेजा जाता है इसलिए बीडीओ भी लगभग उसे अपने डोंगल से पास कर देते हैं। लेकिन ताखा में तो सब देखरेख लेखाकार ही कर रहे थे और प्रधान व सचिवों को इसकी भनक तक नहीं थी। लगभग सभी सचिवों ने जिलाधिकारी श्रुति सिंह से भी इस फर्जी पौधारोपण की शिकायत की है। इन पंचायतों में किया गया फर्जी पौधारोपण ग्राम पंचायत धनराशि

आढरपुरा 40000

अघीनी 50000

बछरोही 30000

शाहपुर 25000

बकौली 40000

बम्हनीपुर 40000

बेलाहार 85000

भरतिया 25000

रुद्रपुर 25000

दीग 90000

हरकुंजलपुर 88980

ककराही 143000

केशोपुर 131590

खनांबांध 76650

पुरैला 88980

रतहरी 50000

शेखपुरा पचार 181590


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