विश्व शौचालय दिवस: बुलंद हौसले से स्वच्छता के शिखर पर पहुंचाए 10 गांव
असोम की युवती ने गढ़े नए आयाम लोगों को प्रेरित कर छुड़वा दी खुले में शौच की लत ग्रामीण क्षेत्र में बीमारियों में आई कमी
एटा, जासं। असोम से यहां आकर एक युवती ने ग्रामीणों के लिए स्वच्छता के नए आयाम गढ़े और दर्जनभर गांवों को स्वच्छता के शिखर पर पहुंचा दिया। कई गांव के सैकड़ों लोगों को अपने साथ जोड़ा। शौचालय का महत्व बताते हुए जागरूक किया। अपनी मेहनत और हौसले से 10 गांवों को जल्द ओडीएफ (खुले में शौचमुक्त) करा दिया। ग्रामीण भी मानते हैं कि अब बीमारियों में तुलनात्मक रूप से कमी आई है।
मूल रूप से असोम की रहने वाली वरनाली डेका एक एनजीओ के जरिए एटा पहुंचीं। उन्हें मारहरा ब्लॉक के दो दर्जन गांवों में स्वास्थ्य गतिविधियों की जिम्मेदारी दी गई थी। इन गांवों में हालात देखे तो बीमारियों की स्थिति बहुत चिताजनक थी। विशेषज्ञों से राय ली तो इसकी वजह गंदगी और खुले में शौच बताई गई। वरनाली ने तय कर लिया कि बिना इन कमियों को दूर किए लोगों को स्वस्थ नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन का माध्यम चुना। स्वच्छाग्रही बनकर अचलपुर, श्यौराई और यादगारपुर पंचायत के 10 गांवों पर काम करते हुए लोगों को शौचालय बनवाने और इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और एक हजार से अधिक लोगों की 60 टीमें बन गईं। उनकी कोशिशें कामयाब रहीं और ब्लॉक में ये गांव सबसे पहले ओडीएफ हुए। वरनाली बताती हैं कि उनकी संस्था निश्शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाती है। पहले डायरिया, पीलिया के मरीज बहुत मिलते थे। अब 70 फीसद तक मरीजों की संख्या में कमी आई है। मिल चुका स्वच्छ शक्ति पुरस्कार:
वरनाली की इस उपलब्धि के लिए उन्हें आठ मार्च 2018 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर स्वच्छ शक्ति पुरस्कार दिया जा चुका है। पुरस्कार उन्हें लखनऊ के स्मृति भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने प्रदान किया था।