अभी भी खेतों में पड़ीं 30 फीसद गेहूं की फसल
भले ही एक महीने से जिले में गेहूं की कटाई मढ़ाई का कार्य चल रहा है लेकिन अभी भी 30 फीसद रकबे में फसल मौजूद है। अस्थिर मौसम के ²ष्टिगत अब किसान फसल को घर लाने के लिए दिन-रात जुटे हैं। थ्रेसिग कार्य भी दिन-रात चल रहा है। इतना जरूर है कि जो कृषक काम से निपट चुके हैं वह भूसे की सुरक्षा के अलावा आगामी फसल को लेकर मन बनाने लगे हैं।
एटा, जासं। भले ही एक महीने से जिले में गेहूं की कटाई मढ़ाई का कार्य चल रहा है, लेकिन अभी भी 30 फीसद रकबे में फसल मौजूद है। अस्थिर मौसम के ²ष्टिगत अब किसान फसल को घर लाने के लिए दिन-रात जुटे हैं। थ्रेसिग कार्य भी दिन-रात चल रहा है। इतना जरूर है कि जो कृषक काम से निपट चुके हैं वह भूसे की सुरक्षा के अलावा आगामी फसल को लेकर मन बनाने लगे हैं।
यहां बता दें कि इस साल जिले में किसानों ने गेहूं की फसल 1 लाख 60 हजार हेक्टेयर पर आच्छादित की। वैसे तो मौसम अनुकूल रहने के कारण गेहूं की वृद्धि बेहतर हुई, लेकिन परिपक्वता की स्थिति में दो बार बूंदाबांदी या बारिश के अलावा तेज हवाओं ने नुकसान भी पहुंचाया। वैसे तो अब तक गेहूं की फसल के कटाई मढ़ाई का काम निपट जाता, लेकिन बदलते रहे मौसम ने और लेबर की समस्या के चलते भी कार्य पिछड़ गया। हाल ही में फणि चक्रवात की जानकारी होते ही किसान और हरकत में आ गए हैं। पता नहीं फसल कटने से पहले ही कुछ और मुश्किलें खड़ी हो जाएं। अब तो किसान कटाई होते ही फसल की थ्रेसिग भी करा रहे हैं।
कीलरमऊ के भानु प्रताप ने बताया कि काफी फसल खुद काटी, लेकिन फिर भी काम जल्दी निपटाने के लिए इसीलिए मजदूरों को लगाया है कि कहीं प्रकृति का कहर न बरप जाए। मुनी पाल का कहना था कि किसान की मेहनत तब वसूल होती है, जब सुरक्षित अनाज घर पहुंचे। उधर जिला कृषि अधिकारी एमपी सिंह ने बताया है कि गेहूं का उत्पादन इस बार ठीक है। एक सप्ताह और मौसम ठीक रहे तो सबकुछ निपट जाएगा।