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मौसम के अलर्ट ने और बढ़ाईं किसानों की धड़कनें

एटा: मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट ने किसानों की धड़कनें और बढ़ा दी हैं। वे प्रार्थना कर रहे हैं कि अब वर्षा न हो। लेकिन प्रकृति की मार बहुत है। उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा मुआवजे का आकलन सही नहीं किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 06:02 PM (IST)Updated: Fri, 04 May 2018 06:02 PM (IST)
मौसम के अलर्ट ने और बढ़ाईं किसानों की धड़कनें
मौसम के अलर्ट ने और बढ़ाईं किसानों की धड़कनें

जागरण संवाददाता, एटा: मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट ने किसानों की धड़कनें और बढ़ा दी हैं। एटा में तूफान का आंशिक असर ही दिखाई दिया, मगर आशंकाएं इस बात को लेकर बरकरार हैं कि अगर और बारिश हुई या तूफान आया तो बढ़ी तबाही हो सकती है।

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मंगलवार की रात आंधी, बारिश के कारण खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गई। कई स्थानों पर गेहूं का कटा-पड़ा लांक भीग गया। मक्का, जायद की फसल को भी काफी नुकसान हुआ। आंधी से कई जगह बिजली के खंभे उखड़ गए। गनीमत यह रही कि यहां कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन आर्थिक नुकसान लोगों को काफी हुआ। दरअसल एक महीने से यह स्थिति बनी हुई है कि बार-बार बारिश होती है। कभी आंधी आती है तो कभी ओले पड़ते हैं। प्रकृति की इस मार से किसान कराह रहे हैं। जबकि प्रशासन ने अब तक 20 से लेकर 30 फीसद नुकसान ही माना है।

निधौलीकलां और सकीट ब्लॉक में सबसे ज्यादा क्षति हुई है। दर्जनभर गांव में फसलों को अधिक नुकसान हुआ। राजस्व विभाग की टीमों ने इन गांवों को चिन्हित करके अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है। इसके बाद जिला प्रशासन ने किसानों को मुआवजा देने के लिए 40 लाख रुपये की मांग शासन से की है। बोले किसान

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प्रशासन ने क्षति का आकलन कम किया है। तमाम किसान ऐसे हैं जिनकी पूरी फसल तबाह हो गई, लेकिन उसमें सिर्फ 20 से लेकर 30 फीसद ही क्षति दिखाई जा रही है। जितनी क्षति हुई है, उसका पूरा मुआवजा मिलना चाहिए।

- रामदास

हम सब ऊपर वाले से दुआ कर रहे हैं कि अब बारिश न हो न आंधी आए। क्योंकि फसल भीगने से सड़ने के कगार पर है। फसल निरंतर भीगती रहेगी तो उसमें अन्न का दाना सुरक्षित नहीं रह पाएगा।

- देशराज ¨सह

जायद की फसलों का बीमा नहीं होता। इसलिए उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाएगा, जबकि खरबूजा, तरबूजा की काफी फसल नष्ट हुई है। इसका सही आकलन जिला प्रशासन को करना चाहिए।

- पन्नालाल

आंधी के कारण आम की फसल को भी नुकसान हुआ है। समय से पहले यह आम टूटकर गिर गए। इसलिए इस क्षति का आकलन भी किया जाना चाहिए ताक किसानों के जख्मों को मरहम लग सके।

- सत्यपाल


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