हकीकत से बेखबर फिर भी विरोध का स्वर
अधिकांश किसानों को नहीं है अभी तक सही जानकारी प्रगतिशील कृषक सही तो कुछ मान रहे अहितकर
जासं, एटा: केंद्र सरकार के नये कृषि काननू को लेकर हर तरफ विरोध चल रहा है, लेकिन खास बात यह है कि किसान संगठनों के साथ विरोध में शामिल खुद अन्नदाताओं को नहीं मालूम कि यह इसका किस कारण उनके हित में नहीं है। वह सिर्फ मौजूदा अनाज की कम कीमतों को ही सरकारी कानून का असर मानकर संगठनों के पीछे हैं।
प्रगतिशील कृषक फूल सिंह कहते हैं कृषि कानून सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त कर देगा। कृषि में सुधार के साथ-साथ किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नए अवसर प्रदान होंगे। जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ाना बिल्कुल तय है। इतना ही नहीं किसानों को आधुनिक तकनीकी का लाभ मिलेगा। सरकार को कानून की सभी जानकारी गांव-गांव शिविर लगाकर देनी चाहिए।
दुर्बीन सिंह का मानना है कि कानून किसानों के लिए फायदेमंद है। कुछ लोगों के मन में फैली भ्रांतियां भी दूर हो सकें। किसान खुशहाल होगा तो राष्ट्र उन्नति करेगा। कानून के रूप में किसानों की उन्नति के लिए सरकार की सकारात्मक सोच प्रदर्शित हुई है। नकुल राणा कहते हैं कि कृषि में निजी क्षेत्र के निवेश से किसानों का नुकसान होगा। फसलों के रेट नहीं बढ़ रहे हैं। इसके अलावा नए-नए कानून किसानों के ऊपर थोपे जा रहे हैं, जो सही नहीं हैं। कानून किसानों से बात कर किसानों के हितों को ध्यान में रखकर बनाने चाहिए। दूध का लाइसेंस गलत है।
राजेंद्र शर्मा कहते हैं किसान तो हर तरफ से बेबस है। इसका का कारण आपसी एकता न होना है। किसान सम्मान निधि का हाल देख लो सरकार अगर कुछ करती भी है तो अधिकारी-कर्मचारी उन योजनाओं को धरातल पर न लाकर दबाकर बैठ जाते हैं। भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र चौधरी का मानना है कि केंद्र सरकार के नए कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं। इससे किसान तबाह हो जाएगा। किसानों के बीच आकर उनकी समस्याओं को जानकर कानून बनाने चाहिए। सभी किसानों को नए कृषि कानून का जमकर विरोध करना चाहिए।