विधानसभा चुनाव : पहले मैदान सजे तब चुप्पी तोड़ेंगे मतदाता
विधानसभा चुनाव की रणभेदी बज चुकी है पर युद्ध का मैदान सजना बाकी है क्योंकि अधिकांश टिकटें अभी तक घोषित नहीं हुई हैं। टिकटों को लेकर कड़ाके की ठंड में भी अटकलों का बाजार गर्म है। मतदाता खामोश हैं और घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। चर्चा होती है तो प्रतिक्रिया भी देते हैं लेकिन फिलहाल चुप्पी नहीं तोड़ रहे। एटा जनपद की चारों विधानसभा सीटों के सियासी समीकरण तभी साफ होंगे जब टिकटों की घोषणा हो जाएगी।
जागरण संवाददाता, एटा : विधानसभा चुनाव की रणभेदी बज चुकी है पर युद्ध का मैदान सजना बाकी है, क्योंकि अधिकांश टिकटें अभी तक घोषित नहीं हुई हैं। टिकटों को लेकर कड़ाके की ठंड में भी अटकलों का बाजार गर्म है। मतदाता खामोश हैं और घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। चर्चा होती है तो प्रतिक्रिया भी देते हैं, लेकिन फिलहाल चुप्पी नहीं तोड़ रहे। एटा जनपद की चारों विधानसभा सीटों के सियासी समीकरण तभी साफ होंगे जब टिकटों की घोषणा हो जाएगी। हालांकि कांग्रेस और बसपा ने एक-एक सीट पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।
यहां भाजपा, सपा प्रबल प्रतिद्वंद्वी मानी जा रहीं हैं, वहीं बसपा, कांग्रेस मुकाबले में आने को तत्पर हैं। बहुजन समाज पार्टी ने जलेसर विधानसभा सीट पर आकाश जाटव को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जबकि कांग्रेस ने एटा विधानसभा सीट पर गुंजन मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। अब सबसे ज्यादा चर्चा भाजपा और सपा की टिकटों को लेकर हो रही है। वजह साफ है कि भाजपा सत्तारूढ़ पार्टी है और सपा मुख्य विपक्षी पार्टी। अंदरखाने देखा जाए तो अंर्तद्वंद्व की भी स्थिति है। इसी वजह से राजनीति के पंडित भी फिलहाल कुछ बोलने को तैयार नहीं। वैसे भी पूर्व में यही होता रहा है कि मुद्दे चाहें कुछ भी रहे हों, एटा, मारहरा, अलीगंज, जलेसर विधानसभाओं में व्यक्ति आधारित समीकरण भी बनते रहे हैं। हालांकि 2017 के चुनाव में मोदी लहर में व्यक्तिवाद के विपक्षी समीकरण ढेर हो गए थे और भाजपा फिर से इसी प्रयास में है कि लहर बने। टिकटों के लिए भाग-दौड़
टिकटों के लिए राजनीतिक पार्टियों में भाग-दौड़ मची है। सभी पार्टियों ने अपने-अपने पैनल बनाकर पहले ही भेज दिए हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की टिकटों पर सबसे ज्यादा निगाहें टिकी हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इन दोनों दलों में ही टिकटों को लेकर मारामारी सी मची है। भाजपा के सभी सिटिग विधायक अपनी-अपनी टिकट को लेकर आश्वस्त तो हैं, लेकिन अंदरखाने यह भी चिता है कि कहीं किसी का टिकट कट न जाए, जबकि सपा में एटा सीट पर अधिक घमासान है। आने वाले दिनों में जब टिकटों की घोषणा हो जाएगी तब मतदाताओं का रुख भी साफ हो सकेगा।