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शैक्षिक उन्नयन करेगा चलता-फिरता 'विद्यालय'

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रवक्ता रहे डा. आरसी सक्सेना वैसे तो कई साल पहले रिटायर हो गए लेकिन शिक्षा के प्रति समर्पण और सुशिक्षित समाज की मंशा के साथ अब भी वह चलते-फिरते विद्यालय बन गए हैं। कभी बीएड बीटीसी कालेजों में प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन कर उन्हें शिक्षक बनने पर ईमानदारी से कर्तव्य निर्वहन की सीख तो वहीं इंटर कालेज व जूनियर स्कूलों में भी शिक्षा का जागरण कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 06:03 AM (IST)
शैक्षिक उन्नयन करेगा चलता-फिरता 'विद्यालय'
शैक्षिक उन्नयन करेगा चलता-फिरता 'विद्यालय'

एटा, योगेश कुमार: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान से रिटायर्ड प्रवक्ता डा. आरसी सक्सेना चलते-फिरते विद्यालय बन गए हैं। कभी बीएड, बीटीसी कालेजों में प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन करते हैं तो कभी इंटर कालेज व जूनियर स्कूलों में अनुभव बांटते हैं। उनकी स्वरचित पुस्तकें शैक्षिक उन्नयन को नई दिशा देंगी।

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वर्ष 2015 में डायट से सेवानिवृत्त होने के बाद डॉ. सक्सेना ने अपनी रचनात्मक यात्रा जारी रखी। सेवाकाल के अनुभवों को समेटते हुए शैक्षिक गुणवत्ता संवर्धन के लिए काम करते रहे। किताबी शिक्षा में सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश करने के लिए कुछ रचनाधर्मी शिक्षकों को अपने साथ जोड़ा। पिछले चार सालों से वे एटा ही नहीं, प्रदेश के दो दर्जन जिलों में इस तरह की कार्यशाला कर चुके हैं। उनके प्रयास से ही वृहद स्तर पर शैक्षिक नवाचार मूल्यपरक शिक्षा के लिए कई पुस्तकों और मॉड्यूल तैयार हो चुके हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान केंद्र द्वारा सराहे जाने के बाद कई डायट में ये पुस्तकें मार्गदर्शन कर रही हैं। कई प्रमुख संस्थाओं के लिए काम

डॉ. सक्सेना राज्य शैक्षिक अनुसंधान केंद्र, शैक्षिक संस्था नालंदा व लखनऊ के अलावा यूनीसेफ के लिए भी रचनात्मक सहयोग कर रहे हैं। साक्षरता संबंधी सहायक सामग्री तथा प्राथमिक कक्षाओं की कार्य पुस्तिकाओं के लेखन में उनका योगदान रहा है। एटा के जलेसर के अलावा यूनीसेफ ने प्रदेश के दो दर्जन चिह्नित जिलों में श्रम बस्तियों में उनकी पुस्तकों के जरिए शिक्षा का प्रचार प्रसार शुरू किया है। डॉ. सक्सेना मानते हैं कि शैक्षिक उन्नयन के लिए उनके रचनात्मक कार्य तब तक सफल नहीं हो सकते, जब तक भावी और सेवारत शिक्षकों के जरिए वह बच्चों तक न पहुंचें। उनकी खास पुस्तकें

वात्सल्य, राधाकृष्णन का मूल्य दर्शन, शैक्षिक गतिविधियों की कला, दंडहीन शिक्षक, मूल्यपरक शिक्षा, नवजागरण के अलावा हमारा पर्यावरण, संस्कारित शिक्षा, सामाजिक अन्वेषण आदि।


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