बीमारियों के जंजाल में धकेल दिए गरीब
एटा जासं। बसपा शासन में 2008 में कांशीराम शहरी आवास योजना शुरू की गई। आवासीय कालोनी बनवाकर बेघर गरीबों को बसाया गया। लेकिन निर्माण इतना घटिया था कि कुछ सालों में ही तमाम खामियां सामने आ गई। सरकार बदलने के बाद तो इन्हें पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया। एक दशक बाद आवासों की हालत दयनीय हो चुकी है। घटिया निर्माण का दंश यहां के वाशिदे झेल रहे हैं। जबकि स्वच्छ पेयजल सफाई जैसी जरूरी व्यवस्थाओं से जिम्मेदार पल्ला झाड़ते रहे।
एटा, जासं। बसपा शासन में 2008 में कांशीराम शहरी आवास योजना शुरू की गई। आवासीय कालोनी बनवाकर बेघर गरीबों को बसाया गया। लेकिन निर्माण इतना घटिया था कि कुछ सालों में ही तमाम खामियां सामने आ गई। सरकार बदलने के बाद तो इन्हें पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया। एक दशक बाद आवासों की हालत दयनीय हो चुकी है। घटिया निर्माण का दंश यहां के वाशिदे झेल रहे हैं। जबकि स्वच्छ पेयजल, सफाई जैसी जरूरी व्यवस्थाओं से जिम्मेदार पल्ला झाड़ते रहे।
पराग डेरी के पास बसी कालोनी में दर्जनों लोग बीमार हैं। जबकि स्थानीय लोगों के मुताबिक एक महीने में 12 मौत हो चुकी हैं। बीमारियां और मौत कोई एकदम से उत्पन्न हुई त्रासदी नहीं है। समस्या लंबे समय से चली आ रही थी। लोग शिकायतें भी करते रहे, लेकिन कहा जाता है कि गरीबों की कहीं सुनवाई नहीं होती। ऐसा ही कुछ यहां भी होता रहा। अरसे से पानी बदबूदार और गंदा आता था। सबसे बड़ी समस्या सफाई की है। शौचालयों के सेप्टिक टैंक ऐसे बनाए गए, जो उफन रहे हैं। यहां तक कि उनका गंदा पानी रिसकर जमीन में जाने से भूमिगत जल भी दूषित हो रहा है। आज तक इन टैंकों की सफाई नहीं हुई। कई टैंक की स्लैब हटने से वो खुल गए हैं। कालोनी में जहां भी खाली जगह है, गंदगी के ढेर और नालियों में सिल्ट जमी रहती है। एक दशक में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था न हो सकी। आवासों के पीछे ही गड्ढा खोद दिया गया है। जहां नालियों का पानी जमा होकर सड़ता रहता है। लोग बोले
सेप्टिक टैंकों की सफाई न होना बीमारियों की सबसे बड़ी वजह है। कई घरों में तो अंदर बैठने लायक हालात नहीं हैं।
- गुलाब सिंह
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दो दिन से पत्नी मीरा बीमार है। उल्टी-दस्त, पेटदर्द की समस्या बनी हुई है। पता है पानी दूषित है, लेकिन करें भी तो क्या?
- गौरव
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अधिकारियों के आने पर सफाई कर्मचारी आए। अफसरों को गुमराह करने के लिए आधी नालियां साफ कर फोटो खींच ले गए।
- अर्जुन
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जगह-जगह से प्लास्टर झड़ रहा है। सेप्टिक टैंक उफन रहे हैं। पानी गंदा मिल रहा है। इन आवासों में आखिर मौतें क्यों न हों?
- सुनीता