घुंघरू की निखरेगी झंकार, घंटों की गूंज होगी तेज
एटा, जासं। जलेसर के मशहूर घुंघरू-घंटा उद्योग की चमक सरकार और बढ़ाएगी। इसके कारीगरो को तकनीकी प्रशिक्षण देने के साथ ही उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। अच्छी कीमत के लिए बाजार मुहैया कराया जाएगा। जलेसर में डेढ़ दर्जन बड़े कारखाने हैं। तो घर-घर में छोटे स्तर पर गलाई, छिलाई, पॉलिश, फिनि¨शग जैसे काम किए जाते हैं। इसमें करीब 10 हजार कारीगर और मजदूर लगे हुए हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी वर्षों पुराने ढर्रे पर ही यह कार्य किया जा रहा है। जिससे कारीगरों और मजदूरों का जीवन स्तर ठहरा हुआ है। ओडीओपी में उनकी कौशल क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम तय किया गया है।
एटा, जासं। जलेसर के मशहूर घुंघरू-घंटा उद्योग की चमक सरकार और बढ़ाएगी। इसके कारीगरो को तकनीकी प्रशिक्षण देने के साथ ही उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। अच्छी कीमत के लिए बाजार मुहैया कराया जाएगा।
जलेसर में डेढ़ दर्जन बड़े कारखाने हैं। तो घर-घर में छोटे स्तर पर गलाई, छिलाई, पॉलिश, फिनि¨शग जैसे काम किए जाते हैं। इसमें करीब 10 हजार कारीगर और मजदूर लगे हुए हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी वर्षों पुराने ढर्रे पर ही यह कार्य किया जा रहा है। जिससे कारीगरों और मजदूरों का जीवन स्तर ठहरा हुआ है। ओडीओपी में उनकी कौशल क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम तय किया गया है।
शासन से नामित संस्था जलेसर में ही दस दिन का तकनीकी प्रशिक्षण कराएगी। इसमें लागत, मेहनत और समय कम कर अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद बनाना सिखाए जाएंगे। अभी ऐसे बहाते हैं पसीना
घुंघरू-घंटा बनाने के लिए पीतल को गलाकर सांचों में ढलाई की जाती है। इसके बाद छिलाई, रेताई, कटाई, नक्काशी, पॉलि¨शग होती है। अभी केवल स्थानीय बड़े व्यापारियों से ही खरीद-फरोख्त होती है। सरकार की अच्छी पहल
जलेसर के पीतल व्यापारी नितिन गोयल कहते हैं कि इस उत्पाद में निखार लाने के बारे में सरकार की पहल अच्छी सोच है। कारीगरों को लाभ मिलेगा। व्यापारी धीरज शर्मा कहते हैं कि हर व्यवसाय की तरह, इसमें भी आधुनिक तरीकों की जानकारी और प्रशिक्षण की जरूरत है।
वर्जन
ये प्रशिक्षण इसी माह शुरू हो जाएगा। प्रशिक्षित कारीगरों को औजार आदि भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
- जमील अख्तर, परियोजना सहायक, जिला उद्योग केंद्र