रोडवेज के अधिकारियों की मिलीभगत से चालक-परिचालक का खेल
जासं, एटा: कभी आय के मामले में प्रदेश स्तर पर धाक जमाने वाला एटा डिपो फिर से अनाधिकृत चालक-परिचालकों व राजस्व चोरी को लेकर सुर्खियों में आ गया है। जिलाधिकारी तक पहुंची शिकायत के बाद दो रोडवेज बसों में अनाधिकृत चालक-परिचालकों के मामले सामने आ चुके हैं। कार्रवाई से खलबली वहीं अनाधिकृत चालक-परिचालक गायब हो गए हैं। यह सारा खेल रोडवेज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है और प्रशासन अब गोपनीय तौर पर इसी की जांच करा रहा है।
यहां बता दें कि चार दिन पहले ही सुनील पांडे नाम के व्यक्ति द्वारा जिलाधिकारी को रोडवेज में अनाधिकृत चालक-परिचालकों द्वारा बसों का संचालन करने तथा बड़े पैमाने पर राजस्व चोरी होने की शिकायत की थी। शिकायत में विभिन्न मार्गों पर संचालित रोडवेज की बसों के नंबर सहित उन पर चल रहे अनाधिकृत चालक-परिचालकों और निगम की आंखों में धूल झोंक रहे रोडवेज कर्मियों का पूरा चिट्ठा खोलते हुए सबूत के तौर पर वीडियो फुटेज भी उपलब्ध कराएं। जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल द्वारा गोपनीय तरीके से पहले अलीगंज रोड पर एसडीएम सदर के द्वारा अनाधिकृत चालक को पकड़वाने में सफलता मिली। दूसरी ओर शुक्रवार को आगरा मार्ग पर डुप्लीकेट परिचालक से टिकट कटवाने का मामला फिर से एसडीएम द्वारा पकड़ाया। डीएम की कार्रवाई के बाद रोडवेज के अधिकारी बेकफुट आ गए। दो दिन डीएम स्तर से लगातार कार्रवाई के बाद सोमवार को हाल यह दिखा कि विभिन्न मार्गों पर रोडवेज की बसों पर चल रहे अनाधिकृत चालक-परिचालक गायब हो गये, जो चालक-परिचालक ड्यूटी पर थे वह भी बेहद चौकन्ने दिखाई दिये। उधर यह भी बताया जा रहा है कि राजस्व चोरी में लिप्त चालाक-परिचालक ड्यूटी पर ही नहीं आ रहे। एसडीएम सदर शिव कुमार का कहना है कि मामले की गंभीरतापूर्वक जांच की जा रही है, जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।
तीन महीने दबी रही शिकायत
---जिस शिकायत पर गंभीरता दिखाकर जिला अधिकारी ने रोडवेज में चल रहे खेल की सत्यता पर मुहर लगा दी वह शिकायत तीन महीने पहले स्थानीय रोडवेज अधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में दबी रही। विभाग की मिलीभगत देखकर शिकायतकर्ता द्वारा डीएम से शिकायत हुई और उनकी कार्रवाई से असलियत की परतें उधड़ने लगी है। अभी दर्जनभर से ज्यादा बसों और रोडवेजकर्मियों पर प्रशासन का निशाना है।
प्रशासन की कार्रवाई में भी बचाव
--पहले दिन अलीगंज रोड पर जिस बस में अनाधिकृत परिचालक पकड़ा गया तो विभाग ने बस पर नियुक्त स्थाई परिचालक विनेश को तो निलंबित कर दिया, लेकिन परिचालक रुट आफ कर कार्रवाई की औपचारिकता की, लेकिन डीएम के तेवर देख एक दिन बाद परिचालक को भी निलंबित कर दिया। इस तरह की स्थिति से रोडवेज अधिकारियों की अब तक शह और कारगुजारी पर भी सवाल खड़े हो गए।
आंखें मूंदे रहा विभाग
--लगभग दो साल पहले राजस्व चोरी के मामले में ही एआरएम तथा सीआई निलंबित हुए थे। इसके बाद राजस्व चोरी में लिप्त परिचालकों के रूट बदले गए और जिम्मेदारों ने उच्चाधिकारियों को गुमराह किया। पिछले छह महीनों से वही दागी फिर पुराने रूटों पर आकर राजस्व चोरी डुप्लीकेट पर चालकों को साथ लेकर निगम को चपत लगाते रहे और जिम्मेदारों की स्वार्थ पूर्ति होती रही।