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सहेज लो हर बूंद : निधौली कलां के ताल-तलैया भी सूखे

तालाबों को भरने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है वे सिर्फ वर्षा जल पर ही निर्भर हैं और बारिश इतनी नहीं होती कि वर्षभर यह तालाब पानी से आबाद रह सकें। इसी दंश का शिकार निधौली कलां कस्बे के ताल-तलैया हैं। बड़ा तालाब और मुहल्ला शेखान स्थित तलैया सूखी पड़ी है। इसके इर्द-गिर्द गंदगी का अंबार है। रख-रखाव के अभाव में दिन पर दिन स्थिति बतरत होती जा रही है लेकिन कोई ध्यान देने वाला नहीं है। लोगों ने तालाबों के जीर्णोंद्धार की मांग उठाई पर सुनवाई नहीं हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 10:38 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 10:38 PM (IST)
सहेज लो हर बूंद : निधौली कलां के ताल-तलैया भी सूखे
सहेज लो हर बूंद : निधौली कलां के ताल-तलैया भी सूखे

एटा : तालाबों को भरने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है, वे सिर्फ वर्षा जल पर ही निर्भर हैं और बारिश इतनी नहीं होती कि वर्षभर यह तालाब पानी से आबाद रह सकें। इसी दंश का शिकार निधौली कलां कस्बे के ताल-तलैया हैं। बड़ा तालाब और मुहल्ला शेखान स्थित तलैया सूखी पड़ी है। इसके इर्द-गिर्द गंदगी का अंबार है। रख-रखाव के अभाव में दिन पर दिन स्थिति बदतर होती जा रही है, लेकिन कोई ध्यान देने वाला नहीं है। लोगों ने तालाबों के जीर्णोंद्धार की मांग उठाई पर सुनवाई नहीं हुई।

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निधौली कलां कस्बे का बड़ा तालाब कभी आबाद था। इसमें सालभर पानी रहता था, जो कस्बा ही नहीं आसपास के गांवों के लोगों के पशुओं को पानी देने का बड़ा साधन था। धीरे-धीरे तालाब सूखता चला गया, इसके किनारे लोगों ने खनन भी कर लिया और गंदगी भी डाल दी, जिसके कारण अब यह गंदा नजर आता है। वर्षा का पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता, इस वजह से तालाब भर नहीं पाता। थोड़ा पानी रहता है जो जल्दी ही सूख जाता है। इस तालाब को आबाद करने के लिए सबसे पहले सफाई जरूरी है। श्रमदान से भी इसकी हालत सुधारी जा सकती है। बशर्ते इसके लिए सामाजिक संगठन और जागरूक लोग आगे आएं। निधौली कलां के चेयरमैन देवलाल लोधी का कहना है कि बड़ा तालाब को आबाद कराने की व्यवस्था की जाएगी।

इस जिले में कई तालाबों के ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें गांव के लोगों ने श्रमदान किया और तालाब की सूरत निखर गई। ऐसी इच्छा शक्ति अभी निधौली कलां में देखने को नहीं मिली, जबकि संगठनों की कमी नहीं है। इसी तरह मुहल्ला शेखान की तलैया भी उजड़ी हुई है। इस तलैया से भी पशुओं को पीने के लिए पानी उपलब्ध हो जाता था। भीषण गर्मी के दिनों में पशु इसमें डुबकी लगाते थे। पास में ही नहर, रजवाहे भी हैं, प्रशासन अगर चाहे तो पक्की नालियां बनवाकर तालाब को भरवाने की व्यवस्था कर सकता है, लेकिन इसके लिए इच्छा शक्ति चाहिए, जिसका फिलहाल तो सबके बीच अभाव ही दिखता है।


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