संसाधन और न ज्ञान, मुश्किल बना फरमान
बेसिक शिक्षा के बच्चे और अभिभावकों का ब्योरा होना है फीड नई प्रक्रिया को लेकर चकरा रहे शिक्षक
जासं, एटा: बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों को अभी तक टेबलेट या फिर कोई आनलाइन संसाधन उपलब्ध नहीं करा पाया। उधर, बच्चों का डीबीटी डाटा तैयार करने का फरमान शिक्षकों को जारी कर दिया। हाल यह है कि डाटा तैयार करने को लेकर न तो संसाधन ही स्कूलों के पास है और न ही पर्याप्त ज्ञान। ऐसी स्थिति में काम पिछड़ रहा है। विभाग शिक्षकों पर डाटा पूरा करने के लिए दवाब बना रहा है। उधर, शिक्षक संगठनों में भी विरोध बढ़ रहा है।
पहले भी बेसिक शिक्षा में शिक्षा संसाधन उपलब्ध न होने की स्थिति में आनलाइन प्रशिक्षण तथा अन्य कार्यों का विरोध करते रहे हैं। बावजूद इसके स्कूल खुलते ही विभाग द्वारा सभी पर बच्चों का नामांकन प्रेरणा पोर्टल पर करने, खाद्य सुरक्षा योजना से संबंधित सूचनाएं आनलाइन करने के अलावा बच्चों और अभिभावकों से संबंधित पूरा ब्योरा पोर्टल पर फीड करने को लेकर निर्देश दे चुका हैं। स्कूलों में आनलाइन संसाधन तो पहले से ही नहीं है। वहीं स्मार्टफोन प्रत्येक शिक्षक पर होने तथा विभाग की मंशा के अनुरूप पोर्टल पर फीडिग करने का शिक्षकों को न तो ज्ञान है और न ही तजुर्बा। यह पहला मौका है जब बेसिक शिक्षा में किसी भी तरह की सूचनाओं को आनलाइन फीड करने या फिर अपलोड करने को लेकर शिक्षकों की उलझन लगातार बनी हुई है। निर्देशों के अनुरूप जिले की स्थिति यह है कि 20 फीसद भी बच्चों के नामांकन का पंजीकरण, बच्चों और उनके अभिभावकों के संबंध में जानकारी फीड नहीं हो पाई है। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राकेश चौहान का कहना है कि संगठन पहले से ही इस बात का विरोध कर रहा है जब तक संसाधन मुहैया नहीं कराए जाएंगे तब तक कोई काम आनलाइन न किया जाए। विभाग को खुद आपरेटर की व्यवस्था कर फीडिग करानी चाहिए। वहीं शिक्षक नेता वीरपाल सिंह कहते हैं कि शिक्षकों को आपरेटर बनाना उचित नहीं है।
बीएसए संजय सिंह का कहना है कि प्रेरणा पोर्टल पर डाटा फीड करने के लिए कई बार प्रशिक्षण दिया जा चुका है। शिक्षकों के पास संसाधन भी है। ऐसे में उनका सहयोग जरूरी है। यह है शासन की मंशा:
सरकार द्वारा इस बार बच्चों को यूनिफार्म सहित अन्य योजनाओं का लाभ बच्चों के खातों में धनराशि के रूप में भेजना है। वहीं स्कूल बंद रहने के दौरान बच्चों को वितरित खाद्यान्न तथा धनराशि का विवरण पोर्टल पर पारदर्शिता के लिए अपलोड कराना है। वहीं बच्चों के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाना भी है।