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देवोत्थान एकादशी पर मचेगी शादी समारोहों की धूम

एटा: इस बार देवोत्थान एकादशी पर्व अन्य वर्षों से ज्यादा शादी समारोहों की धूम रहेगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:32 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:32 PM (IST)
देवोत्थान एकादशी पर मचेगी शादी समारोहों की धूम
देवोत्थान एकादशी पर मचेगी शादी समारोहों की धूम

जागरण संवाददाता, एटा: इस बार देवोत्थान एकादशी पर्व अन्य वर्षों से ज्यादा शादी समारोहों की धूम वाला होगा। नवंबर और दिसंबर में भी नाम मात्र विवाह मुहुर्त होने के कारण इस बार देवोत्थान को ही शहनाइयों की गूंज और तेज सुनाई देगी। अधिक समय इंतजार न करने के कारण देवोत्थान को ही शुभ मुहुर्त मानकर दो महीनों में विवाह आयोजनों का यह खास पर्व होगा। उधर एक ही दिन सैकड़ों विवाह आयोजनों के मध्य लोगों को आयोजनों की व्यवस्थाएं जुटाने में भी मुश्किलें हो रही हैं।

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19 नवंबर को देवोत्थान को देव पूजा अर्चना के साथ ही विवाह आयोजन शुरू होंगे। नवंबर में कोई भी शुभ मुहुर्त नहीं है। वहीं दिसंबर में भी 10, 11, 12 दिसंबर को छोड़ पूरे माह विवाह आयोजनों का योग नहीं बताया गया। जनवरी में भी एक पखवाड़ा गुजरने के बाद विवाह हो सकेंगे। कुछ इसी तरह के पंचाग योग के कारण काफी पहले से विवाह तय करने की रस्म पूरी कर चुके लोग देवोत्थान को ही शुभ मुहुर्त मानकर विवाह तय कर चुके हैं। वैसे तो इस दिवस जिन जोड़ों के विवाह योग नहीं बनते, उनके भी विवाह करा दिए जाते। उसी रीति को इस बार खास मानकर देवोत्थान पर्व दांपत्य की डोर जोड़ने का खास दिन होगा।

400 से भी ज्यादा की जुड़ेगी दांपत्य डोर:देवोत्थान पर्व पर जिले में 400 से भी ज्यादा विवाह आयोजन होने का अनुमान है। शहर क्षेत्र में ही 125 से भी ज्यादा जोड़े दांपत्य सूत्र में बंधेंगे। इसके अलावा कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों में भी शुभ मुहुर्त की कमी के मध्य इस पर्व पर बड़े पैमाने पर विवाह आयोजनों की तैयारी है।

गेस्ट हाउस से धर्मशालाएं तक बुक:

बड़ा सहालग बन जाने के कारण देवोत्थान पर जहां मैरिज होम गेस्ट हाउस, महीनों पहले से बुक हैं। ऐसे में लोगों को आयोजन के लिए धर्मशालाएं भी तलाशनी पड़ी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों और पंचायत घरों तक का सहारा लिया जाएगा। मारामारी के कारण मैरिज होमों के रेट भी बढ़ गए।

बैंडबाजे, हलवाई, डेकोरेटर सब की मांग:देरी से विवाह की तिथि तय करने में पिछड़े लोग मुश्किलों से व्यवस्था कर पा रहे हैं। बैंड चार-चार शिफ्टों में, वहीं हलवाई, डेकोरेटर, कैटरर को भी ज्यादा आयोजनों में कमाई के लिए लेबर बढ़ानी पड़ी हैं। पर्व पर मारामारी से लोगों की जेबें ज्यादा ढीली हो रही हैं।


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