सरकारी में मात्र 252 तो निजी में 3058 मरीज 'आयुष्मान'
निजी में बेहतर चिकित्सा सेवा के चलते करीब ढाई साल के आंकड़े में ही दिखा कई गुना अंतर
जासं, एटा: आयुष्मान भारत योजना में निजी और सरकारी दोनों तरह के अस्पतालों को लाभार्थियों का इलाज करने के लिए अधिकृत किया है। अव्यवस्थाओं के चलते सरकारी अस्पतालों के इलाज पर लोगों को भरोसा कम है, जबकि निजी अस्पतालों में लाभार्थियों की संख्या हजारों में है। ये आंकड़े सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं की हकीकत बयां करते हैं।
सितंबर, 2018 में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत लांच की गई थी। इसमें चयनित परिवारों के सदस्यों को साल में पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का प्रविधान किया गया है। योजना को लोग खूब पसंद कर रहे हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों का ढर्रा नहीं बदला है। दो साल से ज्यादा समय में योजना के तहत महज 252 मरीजों का ही इलाज कर सके हैं। योजना से दोनों जिलास्तरीय अस्पतालों सहित कुल 10 सरकारी अस्पताल संबद्ध हैं। दूसरी ओर संबद्ध चार निजी अस्पतालों में 3058 लोगों का इलाज किया जा चुका है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और सेवाओं की कमी है। वहां फर्स्ट एड सेंटर की तरह महज खांसी-जुकाम, मरहम पट्टी आदि का ही इलाज उपलब्ध होता है।
- राजेश कुमार, पुलिया गर्वी निजी अस्पतालों की सेवाएं बेहतर है इसलिए लाभार्थी वहां जाना पसंद करते हैं। सरकारी अस्पताल में सभी सुविधाएं मिलें तो योजना की जरूरत ही क्यों हो।
- धर्मेंद्र सिंह, पीपल अड्डा 353340-लाभार्थी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना
77271-गोल्डन कार्ड बने
80170-लाभार्थी मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना
3279-गोल्डन कार्ड बने
10-सरकारी अस्पताल संबद्ध
252-मरीजों ने कराया इलाज
47.21-लाख रुपये क्लेम का भुगतान
04-निजी अस्पताल संबद्ध
3058-मरीजों का हुआ इलाज
2.92-करोड़ रुपये क्लेम का भुगतान
सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध अधिकांश चिकित्सा सेवाएं और दवाएं सभी मरीजों को निश्शुल्क दी जा रही हैं। जो विशेष चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, उससे संबंधित मरीज निजी चिकित्सालय में जा रहे हैं।
- डा. अरविद कुमार गर्ग, सीएमओ