सूख चली पटना पक्षी विहार की झील, खतरे में पक्षियों की आमद
बरसात कम होने से नहीं बढ़ा झील का जलस्तर लोधीपुर माइनर से नहीं मिला पानी तो बढ़ेगी मुश्किल
एटा, जासं। बारिश की बेरुखी और माइनर के अवैध कटान के चलते जिले के एकमात्र पटना पक्षी विहार की झील सूख चली है। ऐसे में सर्दियों में देसी-विदेशी पक्षियों की आमद मुश्किल होगी। इससे पक्षी विहार का आकर्षण खतरे में पड़ जाएगा।
जलेसर क्षेत्र स्थित इस पक्षी विहार में 38 हेक्टेयर क्षेत्रफल में झील फैली हुई है। नवंबर के अंत में मौसम सुहावना होते ही अन्य देशों के पक्षी भी पहुंचना शुरू हो जाते हैं। रंग-बिरंगे पक्षियों का खास आकर्षण रहता है। इस बार इसे ग्रहण लगता दिख रहा है।
दरअसल, झील में पानी के भंडारण का मुख्य स्त्रोत बरसात है। अप्रैल-मई में सफाई-खोदाई करा दी जाती है और मानसून में यहां पर्याप्त पानी भर जाता है। इस बार बरसात काफी कम रही है, झील सूखती जा रही है। दूसरा स्त्रोत लोधीपुर माइनर है। इसका पानी झील में आता है, लेकिन इसे फीरोजाबाद से पूरा पानी नहीं दिया जा रहा। साथ ही कई स्थानों पर अवैध कटान के कारण यहां पानी पहुंच ही नहीं रहा। बरसात के बाद माइनर में भी पानी आने की उम्मीद खत्म हो जाएगी। फॉरेस्ट रेंजर नरेंद्र पाल ने बताया कि डीएम को सूचना दी है। यदि एक बार पक्षी आने के बाद पानी की कमी देख लौट गए तो उनके आगमन का चक्र टूट जाएगा और वह आगामी वर्षों में फिर नहीं आएंगे।
आते हैं 60 हजार से अधिक पक्षी:
किगफिशर, सोवलर, पिटेल, कॉमन टील, कॉटन टील, विसलिग टील, ग्रेलेग गूज, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, कॉम डक, स्कॉट बिल, कूट, ब्रह्मनी डक, आइविश, ब्लैक आई विश, पैंटेड स्टोर्क, ब्लैक नैक स्टोर्क, व्हाइट नैक स्टोर्क, पर्पल मोर हैन, जयकान, डबचिक, स्नेक बर्ड, कॉमन मोर हैन, राजहंस, बार हैडेड गूज, नीलसर सहित सैकड़ों प्रजातियों के 60 हजार से अधिक पक्षी यहां तीन महीने तक प्रवास करते हैं। पटना पक्षी विहार की झील में पानी की कमी का मामला संज्ञान में आया है। जिस पर सिचाई विभाग फिरोजाबाद को संबंधित माइनर में पानी छोड़े जाने के लिए पत्र भेजा गया है।
- विवेक कुमार मिश्र, एडीएम प्रशासन