मोबाइल कॉल डाटा की दरों ने बढ़ाई दिक्कतें
रसोई गैस सिलिडर और सब्जियों के दामों में हो रही उछाल ने अभी लोगों के आंसू भी नहीं पोंछे कि मोबाइल कॉल और डाटा की दरों में वृद्धि ने अब मोबाइल उपभोक्ताओं की समस्या बढ़ा दी है। बोडाफोन एयरटेल यूनीनॉर आदि सभी मोबाइल कंपनियों ने इस बार रीचार्ज की दरों के अलावा इंटरनेट की दरों को भी एक समान कर दिया है। अर्थात 199 वाले रीचार्ज और डाटा पर अब उपभोक्ताओं को जहां 299 खर्च करने होगें। वहीं 399 वाले रीचार्ज संग डाटा नेटवर्क पर उन्हे 100 रुपये अतिरिक्ता यानि 499 रुपये का खर्च झेलना होगा।
एटा, जागरण संवाददाता: रसोई गैस सिलिडर और सब्जियों के दामों में उछाल ने अभी लोगों के आंसू भी नहीं पोंछे, कि मोबाइल कॉल और डाटा की दरों में वृद्धि ने अब मोबाइल उपभोक्ताओं की समस्या बढ़ा दी है। सभी मोबाइल कंपनियों ने इस बार रीचार्ज की दरों के अलावा इंटरनेट की दरों को भी एक समान कर दिया है। अर्थात 199 वाले रीचार्ज और डाटा पर अब उपभोक्ताओं को जहां 299 खर्च करने होंगे। वहीं 399 वाले रीचार्ज संग डाटा नेटवर्क पर उन्हे 100 रुपये अतिरिक्त 499 रुपये का खर्च झेलना होगा।
चौतरफा महंगाई ने मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। सब्जियों के मूल्यों में भारी उछाल रहने से लोगों को बजट की चिता सताती रही। उपभोक्ताओं की परेशानी कम करने का सरकार कोई उपाय सोच पाती, उससे पहले ही घरेलू रसोई गैस सिलिडर के मूल्यों ने उपभोक्ताओं के बजट को करारा झटका दे दिया। एक और झटका अब मोबाइल के दामों में हुए इजाफे ने दे दिया है। जरूरत बन गया मोबाइल
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मोबाइल अब हर छोटे बड़े आदमी की जरूरत बन गया है। बिना मोबाइल के कोई भी खालीपन महसूस करता है। इसके पीछे वजह यह है कि मोबाइल अपनों से दूर रहकर भी उनके दूर होने की कमी को पूरा करता है। कहते हैं उपभोक्ता
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- सरकार का नियंत्रण महंगाई से पूरी तरह टूट गया है। सभी वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। ऐसे में आम आदमी क्या करे? योगेश वाष्र्णेय
- सब्जियां-दालें महंगी, सिलिडर महंगा, अब मोबाइल कॉल महंगी होने से समस्या और बढ़ गई है। अब तो मुश्किलें ही मुश्किलें हैं। मो. रिजवान
- बड़े-बड़े वादे सरकार के फेल हो गए हैं। न तो अपराधों व अपराधियों पर लगाम लग रही है, न ही महंगाई पर अंकुश लग पा रहा है। मोहित कुमार
- अब हर किसी को मोबाइल के खर्च भी सीमित करने पड़ेंगे, जिससे परिवार चलाने को बजट का टोटा न रहे। बहुत कुछ सोचना पड़ेगा। सुधीर कुमार