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लड़खड़ाती रोडवेज बसों में कंपकंपाता सफर

यात्रा के दौरान हुए कष्टों को यादगार बनाना हो तो रोडवेज की बसों से सफर करिए। कपड़े फटने से भले ही बच जाएं लेकिन गंतव्य तक पहुंचने में शरीर की चूलें जरूर हिल जाएंगी। यह सफर ठंड में और भी कष्टकारी हो जाता है जब टूटी खिड़की से बस में प्रवेश करती ठंडी हवा ठिठुरन पैदा कर देती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 10:40 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:03 AM (IST)
लड़खड़ाती रोडवेज बसों में कंपकंपाता सफर
लड़खड़ाती रोडवेज बसों में कंपकंपाता सफर

एटा, जागरण संवाददाता : हवादार खिड़की, चरमराती सीटें, सर्दी से ठिठुरन करतीं सवारियां। सफर में भले ही आपके कपड़े फटने से बच जाएं लेकिन गंतव्य तक पहुंचने में शरीर की चूलें जरूर हिल जाएंगी। कुछ इस तरह का है रोडवेज में इन दिनों रात्रि का सफर। जो आपके कष्टों को यादगार बना देता है।

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राज्य सड़क परिवहन निगम की 212 बसें रोजाना जनपद के रोडवेज परिसर से होकर गुजरती हैं। ये बसें आनंद बिहार दिल्ली, फर्रुखाबाद, छिबरामऊ, किशनी, कुशमरा, लखनऊ, मारहरा, मैनपुरी, औंछा, नंदपुर, आगरा, कासगंज, बरेली, बदायूं, गंजडुंडवारा के यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाती हैं। दुर्भाग्य यह है कि विभाग कमाई की चिता जरूर करता है लेकिन यात्रियों की सुविधाओं की ओर ध्यान देने की जहमत गंवारा नहीं समझता। हालत इस कदर खराब है कि रोडवेज की इन बसों के सड़क पर दौड़ने के दौरान इतनी आवाज होती है कि अगल-बगल बैठे यात्री बात नहीं कर सकते। खिड़कियों के शीशे कब और कहां गिर जाएंगे, कहना मुश्किल है।

चालक किस तरह इन बसों को चलाते हैं यह उनसे ही कोई पूछे। बस में लोहे के चादर व कीलें आदि जख्मी कर देती हैं। सीटें इतनी तकलीफदेह है कि मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते शरीर का दर्द के मारे बुरा हाल होता है। प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था नहीं

रोडवेज की बसों में प्राथमिक चिकित्सा की कोई व्यवस्था नहीं होती। बसों में चढ़ते या उतरते समय अगर कोई चोट या खरोंच लग जाए तो तत्काल उपचार संभव नहीं होता। इसके लिए किसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या निजी चिकित्सक की मदद लेनी होती है। हो रही है बसों की मरम्मत

अधिकांश बसों को दुरुस्त किया जा चुका है। शेष बसों के शीशे ठीक किए जा रहे हैं। सभी जर्जर बसों को हटा दिया गया है। फिलहाल सभी बसें ठीक दशा में हैं। जिनमें कमी रह गई है, उन्हे भी शीघ्र सुधारा जाएगा। अजयपाल सिंह, प्रभारी रोडवेज, एटा


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