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जब जरूरत पड़ी, मिडडे मील को नहीं मिले एनजीओ

हाल ही में बेसिक शिक्षा मंत्री ने बयान में शिक्षकों को मिड-डे-मील योजना से मुक्त करने की बात कही है। यह बात जिले में लोगों को इसलिए नहीं पच रही कि जिला प्रशासन पिछले कई साल से नगर क्षेत्र में ही एनजीओ के द्वारा मिड-डे-मील बनवाने के प्रयास करता रहा लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। उधर शिक्षक संगठन व्यवस्था में बदलाव को शैक्षिक सुधार के नजरिए से देख रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 11:07 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 06:06 AM (IST)
जब जरूरत पड़ी, मिडडे मील को नहीं मिले एनजीओ
जब जरूरत पड़ी, मिडडे मील को नहीं मिले एनजीओ

एटा, जागरण संवाददाता: बेसिक शिक्षा मंत्री की मंशा मिडडे मील की जिम्मेदारी से शिक्षकों को मुक्त करने की है। जिले में यह काम इतना आसान भी नहीं है। तीन बार यह व्यवस्था एनजीओ को देने के प्रयास किए गए। तीनों ही बार संस्था ने संचालन से हाथ खड़े कर दिए।

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मिडडे मील योजना शुरू होने के बाद से ही जिले में गांव में प्रधानाध्यापक और प्रधान एवं नगर क्षेत्रों में प्रधान की जगह सभासद इसका संचालन कर रहे हैं। वर्ष 2008-09 में एनजीओ को योजना संचालन के लिए आमंत्रित किया गया। कुछ एनजीओ सामने आए लेकिन जिले की भौगोलिक स्थिति को देख हाथ खड़े कर दिए। वर्ष 2015 में शासन ने फिर जोर दिया, लेकिन विभाग उस समय भी एनजीओ को नियुक्त नहीं कर पाया। दो महीने पहले नगर क्षेत्र में एनजीओ को मिडडे मील वितरण के लिए फिर से आमंत्रित किया गया है। अभी टेंडर प्रक्रिया ही लंबित है। 2013-14 में आंगनबाड़ी केंद्रों की हॉटफूड योजना एनजीओ को दी गई थी, लेकिन एक महीना पूरा किए बिना ही एनजीओ काम छोड़कर भाग गई। इतने पर भी विभागीय अफसर आश्वस्त हैं कि वह रास्ता निकला लेंगे।

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'नगर क्षेत्र में एमडीएम वितरण के लिए कई एनजीओ इच्छुक हुए हैं, जो भी शर्तों पर खरा उतरेगा उसे समिति के निर्णय के बाद जिम्मेदारी दी जाएगी। जल्दी बदलाव का प्रयास किया जाएगा।'

- संजय सिंह, बीएसए एटा ----

'यदि शिक्षकों को एमडीएम से मुक्त किया जाता है तो यह बेहतर होगा। शैक्षिक संगठन शिक्षा में सुधार को यह जिम्मेदारी वापस लेने की मांग करते चले आ रहे हैं।'

राकेश चौहान, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ


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