मेडिकल स्टोर संचालक नहीं देते पक्के बिल
सादा पर्चे पर रेट और टोटल लिखकर दे दिया जाता है बिल पक्का बिल न होने से नहीं कर सकते क्लेम
मेडिकल स्टोर संचालक नहीं देते पक्के बिल
जासं, एटा : मेडिकल स्टोर पर दवा लेने जाएं तो पक्का बिल कोई भी संचालक नहीं देता, सिर्फ हाथ से पर्ची पर दवा की कीमत और टोटल लिख दिया जाता है। अगर कोई क्लेम करना चाहे तो ग्राहक के पास कोई सबूत नहीं कि उसने फलां मेडिकल स्टोर से उसने दवा खरीदी है। यह मनमानी अब से नहीं काफी समय से यहां चल रही है।
दवाओं को लेकर यह खेल काफी समय से चल रहा है। कोई अगर बहुत पीछे पड़ जाए तब ही वह असली बिल प्राप्त कर सकता है। दरअसल, दुकानदार असली बिल देने से और बचते हैं क्योंकि वे रेट को लेकर पकड़ में आ जाएंगे। शहर में 200 से अधिक छोटे-बड़े मेडिकल स्टोर संचालित हैं। नियम यह है कि सभी मेडिकल स्टोरों पर बिल के लिए कंप्यूटर की व्यवस्था होनी चाहिए और कितनी दवा बिकी इसकी एंट्री भी दर्ज होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश दुकानों पर कंप्यूटर की व्यवस्था नहीं है। ग्राहकों को सिर्फ सादा पर्चे पर दवा के रेट लिखकर दे दिए जाते हैं। ग्राहक भी उदासीनता बरतते हैं जो पक्के बिल नहीं मांगते, जबकि औषधि विभाग लोगों से निरंतर यह अपील कर रहा है कि वे दुकानों से दवा का बिल जरूर प्राप्त करें, वरना उनके पास कोई साक्ष्य नहीं रहेगा कि उन्होंने किस मेडिकल स्टोर से दवा खरीदी। औषधि निरीक्षक दीपक कुमार का कहना है कि हाल ही में की गई छापेमारी के दौरान बिलों में गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं। मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है और यह अभियान जारी रहेगा।