यह कैसा खेल : नौ दिन से अंतिम संस्कार को तरसी महिला एटा में कोरोना पॉजिटिव और अलीगढ़ में निगेटिव
नौ दिन तक मोरचरी में रखा रहा महिला का शव। एटा-अलीगढ़ के बीच शव लेने को झूलते रहे परिवार वाले।
एटा, जेएनएन। मृत महिला के परिवार के लोग नौ दिन तक शव लेने के लिए मोरचरी की बिल्डिंग से सिर पटकते रहे। हर रोज उनसे यही कहा जाता था कि कोरोना जांच रिपोर्ट अलीगढ़ से नहीं आई है, इस कारण मौत के बाद भी वे अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाए, लेकिन गुरुवार को जब रिपोर्ट आई तो वह निगेटिव निकली। जबकि इसी मृत महिला को चार दिन पहले स्वास्थ्य विभाग ने स्थानीय स्तर पर जांच कराकर पॉजिटिव घोषित कर दिया था। परिवार के लोग तो पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर चले गए, मगर यह सवाल छोड़ गए कि स्वास्थ्य विभाग संंवेदनहीन बनकर कैसे कोरोना संकट में भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है।
जिंदा इंसान हो तो रिपोर्ट के लिए इंतजार किया भी जा सकता है, लेकिन एक मुर्दा की रिपोर्ट भी दोहरी आए तो सवाल उठना लाजमी है। दरअसल जैथरा के गांव साकीपुर निवासी 32 वर्षीय महिला की नौ दिन पहले बीमारी से मौत हो गई। आमतौर पर मौत होते ही लोग किसी भी झंझट में पड़ने से बचने के लिए शव को यूं ही दफना देते हैं, लेकिन महिला के परिवार ने जागरूकता दिखाई और स्वास्थ्य विभाग से खुद कहा कि महिला की बीमारी से मौत हुई है इसलिए कोरोना की जांच कराई जाए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम शव को एटा ले आई और तभी अलीगढ़ जांच के लिए सैंपल भेज दिया। मगर नौ दिन पूर्व मृत महिला की निगेटिव रिपोर्ट गुरुवार को आ पाई, जबकि चार दिन पूर्व एटा में टूनेट मशीन से कोरोना की जांच हुई तो रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। अलीगढ़-एटा की जांच रिपोर्ट के बीच मृतका का परिवार बेबस था, शव रखा हुआ था और वे नौ दिन तक अंतिम संस्कार नहीं कर पाए। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह कौन तय करे कि एटा की रिपोर्ट गलत है या अलीगढ़ की। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं है।
सीएमओ को भी टूनेट पर नहीं भरोसा
कोरोना जांच के लिए जिला अस्पताल में लाई गई टूनेट मशीन पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अजय अग्रवाल को भी भरोसा नहीं है। उन्होंने बताया कि टूनेट मशीन से जांच निगेटिव रिपोर्ट देने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी केसों में टूनेट से जांच कराई जाती है, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है उनके आपरेशन व अन्य इलाज किए जाते हैं। इसलिए सैंपल अलीगढ़ भेजा जाता है, मगर वहां वर्क लोड अधिक है इस कारण जांच रिपोर्ट में देरी हो जाती है। इसीलिए मृत महिला की रिपोर्ट देरी से आई है। दूसरी तरफ सीएमओ के बयान से एक और सवाल उठ रहा है कि जब मशीन की जांच भरोसेमंद नहीं तो फिर इसका उपयोग क्यों किया जा रहा है, क्या यह मरीजों के साथ खिलवाड़ नहीं।