जनपद में 54 बच्चों ने कोरोना के कारण खो दिए अपने
पिता को खोया तो किसी ने मां को सरकार ने बच्चों के भरण-पोषण का उठाया जिम्मा
जासं, एटा: कोरोना के कारण पिछले वर्ष से अब तक जनपद में 54 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने पिता या फिर माता को खोया है। कई परिवारों में कमाने वाला कोई नहीं रहा। कुछ परिवार ऐसे भी रहे जिनमें पिता नहीं थे और भाई के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी थी, मगर उस भाई की मौत हो गई। सरकार ने इस पीड़ा को गंभीरता से समझा और बच्चों के भरण-पोषण का जिम्मा उठाने का निर्णय लिया। अब बच्चों को इमदाद भी मिलनी शुरू हो गई।
कोरोना संक्रमण काल वर्ष 2020 में शुरू हुआ था। अब तक यह दंश बरकरार है। लोग संक्रमित हुए, हालत गंभीर हो गई तो परिवार के पास जो पैसा था वह इलाज में खर्च हो गया। ऐसे में पीड़ित की मृत्यु भी हो गई, लिहाजा परिवार आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है। बच्चे पढ़ नहीं पा रहे। तब सरकार ने प्रशासनिक स्तर से सर्वे कराया। जनपद में कोरोना से हुईं 121 लोगों की मौत से प्रभावित हुए उनके परिवार वालों की जानकारी जुटाई। यह देखा गया कि परिवार में कमाने वाला कौन है। बच्चों का भरण-पोषण ठीक से हो पा रहा है अथवा नहीं। तमाम परिवार ऐसे मिले जिनकी हालत दयनीय थी। सरकार ने उन्हें संबल प्रदान किया और 54 बच्चों को चिह्नित किया गया। इन बच्चों को आर्थिक सहायता देना शुरू कर दिया गया है। हालांकि अभी तक 30 बच्चों को ही आर्थिक सहायता राशि के स्वीकृति पत्र दिए गए हैं। समय-समय पर इन बच्चों को विभिन्न कक्षाओं में निश्शुल्क प्रवेश, उनकी कानूनी संपत्तियों की सुरक्षा, बेटियों के विवाह के लिए अनुदान आदि की व्यवस्था की गई है। इस तरह हुआ सर्वे:
बाल कल्याण संरक्षण समिति को सर्वे का जिम्मा सौंपा गया था। इस समिति ने घर-घर जाकर पड़ताल की और बच्चों को चिह्नित किया। इसके बाद प्रशासन ने प्रभावित बच्चों का सत्यापन भी कराया। तब 54 बच्चों का आंकड़ा एटा जनपद में निकलकर सामने आया। इन बच्चों को एक तरह से सरकार ने गोद लिया है और अब इनके भरण-पोषण, शिक्षा पर खर्च आदि की व्यवस्था सरकार ही करेगी। --------------
जनपद में 54 ऐसे बच्चों चिह्नित किया गया है जिनके परिवार में कोरोना के कारण कमाने वाले की मौत हो चुकी है और परिवार आर्थिक तंगी का शिकार है। ऐसे बच्चों की चिता प्रशासन करेगा और उन्हें नियमानुसार सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
- विवेक मिश्र, अपर जिलाधिकारी प्रशासन