आधी आबादी ने लोकतंत्र के महापर्व में निभाई पूरी जिम्मेदारी
महिलाओं ने मतदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लोक-लाज की बात आई तो घूंघट की ओट कर मतदान केंद्रों पर पहुंच गईं। तमाम महिलाएं रसोई छोड़कर वोट डालने पहुंचीं तो कई महिलाओं ने घरेलू कामकाज निपटाने के बाद मतदान किया। खास बात यह थी कि शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों के पोलिग सेंटरों पर भी महिलाओं की संख्या खूब नजर आई।
एटा, जासं। आधी आबादी ने लोकतंत्र के महापर्व में अपनी जिम्मेदारी पूरी निभाई। महिलाओं ने मतदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लोक-लाज की बात आई तो घूंघट की ओट कर मतदान केंद्रों पर पहुंच गईं। तमाम महिलाएं रसोई छोड़कर वोट डालने पहुंचीं तो कई महिलाओं ने घरेलू कामकाज निपटाने के बाद मतदान किया। खास बात यह थी कि शहर ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के पोलिग सेंटरों पर भी महिलाओं की संख्या खूब नजर आई।
मंगलवार को हुए मतदान में आधी आबादी ने अपनी ताकत का अहसास कराया। सुबह से ही परिवारों और मुहल्ला-पड़ोस की महिलाएं एकसाथ वोट देने के लिए मतदान केंद्रों की ओर निकल पड़ीं। इनमें कई ऐसी थीं, जो चूल्हा-चौका भी छोड़ आई थीं। उनमें सबसे पहले वोट डालने का उत्साह था। जबकि तमाम महिलाएं घर का काम निपटाने के बाद भी मतदान केंद्रों पर पहुंचीं। उनका कहना था कि मतदान शाम तक चलेगा, तो जल्दबाजी की क्या जरूरत? शहरों में जहां महिलाएं परिवार के साथ वोट डालने को जाती नजर आईं तो ग्रामीण क्षेत्रों में कई घरों से महिलाएं एकत्रित होकर पहुंच रही थीं। कुछ स्थानों पर मतदान केंद्र गांवों से अधिक दूरी पर थे। इसके बावजूद महिलाओं के माथे पर शिकन नहीं थी। वे पूरे उत्साह के साथ कदम बढ़ाए जा रही थीं। सरकार और जनप्रतिनिधि चुनने के मामले में कहीं जोश की कमी नहीं थी। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में महिलाएं बुरका पहने हुए सादगी के साथ पहुंच रही थीं। वहीं अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं घूंघट की ओट से वोट की चोट करने मतदान केंद्रों पर पहुंचीं।
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बच्चों को लेकर पहुंचीं महिलाएं
बच्चे छोटे थे, ऐसे में उन्हें घर पर किसके सहारे छोड़ा जाए? लेकिन वोट डालना भी बेहद जरूरी था। इस तरह की मुश्किलें भी तमाम महिलाओं के सामने आईं। लेकिन मतदान से उनके कदम नहीं ठिठके। बच्चों को गोद में लेकर वे मतदान केंद्रों तक पहुंचीं और मताधिकार का इस्तेमाल किया।