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अंग्रेजी स्कूलों में जाने से कतरा रहे गुरुजी

जागरण संवाददाता, एटा: परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम के रूप में मॉडल स्कूल बनाने की चल रही प्रक्

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 08:03 PM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 08:03 PM (IST)
अंग्रेजी स्कूलों में जाने से कतरा रहे गुरुजी
अंग्रेजी स्कूलों में जाने से कतरा रहे गुरुजी

जागरण संवाददाता, एटा: परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम के रूप में मॉडल स्कूल बनाने की चल रही प्रक्रिया की शुरुआत में ही परेशानियां दिख रही हैं। हर ब्लॉक के पांच स्कूलों को मॉडल बनाए जाने के लिए जिले में 200 शिक्षकों की व्यवस्था करनी है। इससे पहले ही अंग्रेजी स्कूलों में जाने से गुरुजी कतराते दिख रहे हैं। विभाग ने नियुक्त शिक्षकों से आवेदन मांगे, लेकिन स्थिति यह है कि पूरे जिले से 138 शिक्षकों ने ही उत्सुकता दिखाई है। इनमें से भी लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद शिक्षकों का चयन होने की स्थिति में संख्या और घट जाएगी।

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स्कूलों का स्तर सुधारने के लिए शासन द्वारा अंग्रेजी माध्यम मॉडल स्कूल बनाने की प्रक्रिया वैसे तो तेजी के साथ शुरू हुई है। हर ब्लॉक में पांच-पांच स्कूलों का चयन करने के बाद विभाग ने अंग्रेजी शिक्षकों की व्यवस्था भी शुरू कर दी, लेकिन शिक्षकों में यहां शिक्षण करने की रुचि कम ही दिखी है। आठ ब्लॉकों में 40 स्कूलों के लिए 40 प्रधानाध्यापक व 160 सहायक अध्यापकों की व्यवस्था की जानी है। जरूरत के सापेक्ष सिर्फ 138 शिक्षकों के आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसके बाद विभाग आवेदकों की परीक्षा व साक्षात्कार के लिए जुटा है। इसके बाद चयनित होने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षण भी कराया जाना है। फिलहाल की स्थिति तो यही है कि प्रक्रिया के माध्यम से हर विद्यालय को पांच शिक्षक मिलना मुश्किल होंगे। फिर भी स्कूलों का संचालन समय से कराने के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। जिला समन्वयक संजय मिश्रा का कहना है कि भले ही आवेदन कम आए हैं, लेकिन स्कूलों का संचालन शिक्षकों की कमी की स्थिति में वहां पूर्व से ही नियुक्त शिक्षकों को शामिल करते हुए करा दिया जाएगा। शासन की मंशा के अनुरूप विद्यालय समय से शुरू होंगे।

आवेदन करने वालों का भी स्वार्थ

वर्षों से दूर ब्लॉकों में नौकरी करने के बावजूद अब तक स्थानांतरण न होने को लेकर कुछ शिक्षकों ने अंग्रेजी मॉडल स्कूलों के जरिए ही अपने क्षेत्रों में पहुंचने की मंशा के साथ आवेदन किए हैं। जहां समान वेतन मिलने को लेकर शिक्षकों ने आवेदन में रुचि नहीं दिखाई। वहीं अपने घर के नजदीक पहुंचने के स्वार्थ में आवेदन करने वालों की संख्या ज्यादा है। अभी भी उनकी यही सोच है कि मनमाना ब्लॉक या चयनित विद्यालय मिला तो ठीक नहीं तो वर्तमान विद्यालय में ही कार्यरत रहेंगे।


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