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एटा में अनुकंपा नियुक्ति में फर्जीवाड़ा, शिक्षिका बर्खास्त

पिता की मृत्यु पर पहले भाई फिर बहन ने पा ली नियुक्ति खंड शिक्षा अधिकारी ने दर्ज कराई एफआइआर

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 05:53 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 05:53 AM (IST)
एटा में अनुकंपा नियुक्ति में फर्जीवाड़ा, शिक्षिका बर्खास्त
एटा में अनुकंपा नियुक्ति में फर्जीवाड़ा, शिक्षिका बर्खास्त

जासं, एटा: बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्त पिता की मृत्यु के बाद पहले भाई ने और फिर बाद में बहन ने फर्जीवाड़ा कर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त कर ली। जांच में बहन की नियुक्ति नियम विरुद्ध तरीके से होने के बाद बीएसए ने बर्खास्त कर दिया है।

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मामला निधौलीकलां विकासखंड क्षेत्र का है। बेसिक शिक्षा में नियुक्त जयप्रकाश की मृत्यु सेवाकाल के दौरान हो गई। इसके बाद मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत उनके पुत्र प्रेम किशोर आमोरिया ने अनुकंपा नियुक्ति वर्ष 1984 में प्राप्त कर ली। नियमानुसार मृतक आश्रित के अंतर्गत एक ही नियुक्ति हो सकती है। इसके बावजूद 1990 में मृतक की पुत्री विरजा देवी ने फर्जी अभिलेखों तथा हकीकत को छुपाते हुए वर्ष 1990 में शिक्षिका की नौकरी अवागढ़ ब्लाक में प्राप्त कर ली। फिलहाल वह निधौलीकलां क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय पलिया पर नियुक्त थी। इस मामले को लेकर पिछले साल अजय कुमार ने शिकायत की थी। जांच उपरांत विरिजा देवी द्वारा गलत तरीके से फर्जीवाड़ा कर नियुक्ति पाने की स्थिति सामने आई। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय सिंह ने शिक्षकों को बर्खास्त करते हुए एफआइआर के निर्देश दिए। निर्देशों के अनुपालन में खंड शिक्षा अधिकारी निधौलीकलां धर्मराज सरोज ने कोतवाली नगर में बर्खास्त शिक्षकों के विरुद्ध मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत फर्जीवाड़े से दोहरा लाभ पाने के मामले में एफआइआर दर्ज कराई दी है। शिकायत न होती तो पूरी हो जाती नौकरी: भाई के बाद बहन को भी मृतक आश्रित कोटे से नौकरी देने के मामले में तत्कालीन अधिकारी भी कम दोषी नहीं है। उस समय के विभागीय अधिकारियों ने बिना किसी जांच-पड़ताल के बहन को भी नौकरी दे दी, जबकि पूर्व में मृतक आश्रित भाई को नौकरी दिए जाने का रिकार्ड खुद विभाग के पास रहा होगा। बात यह है कि यदि अनुकंपा नियुक्ति का गलत तरीके से दोहरा लाभ लिए जाने की शिकायत न होती तो शिक्षकों की नौकरी भी पूरी हो जाती। वैसे भी वर्ष 1990 में नौकरी पाने के बाद शिक्षिका द्वारा 21 साल की सेवा पूरी कर विभाग से वेतन भी लिया गया है। भले ही विभाग ने शिक्षकों को बर्खास्त कर एफआइआर दर्ज करा दी, लेकिन अभी तक नियुक्ति देने वाले तत्कालीन अधिकारियों का बचाव ही किया है।


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