खाद्य पदार्थों की महंगाई ने तोड़ी रसोई की कमर
महंगाई की मार हर तरफ से रसोई पर पड़ रही है। खाद्य पदार्थों की
जागरण संवाददाता, एटा : महंगाई की मार हर तरफ से रसोई पर पड़ रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों ने आसमान छू रखा है। रसोई का बजट बिगड़ चुका है। गृहणियां नाराज हैं । वे सवाल उठा रही हैं कि कोरोना संकट काल में पहले ही बजट बिगड़ चुका है। फिर दोहरी मार क्यों दी जा रही है। चाहे खाद्य तेल हो या दाल, सबकी कीमत बढ़ी हुई हैं।
रसोई में दाल, चावल, रिफाइंड, सरसों का तेल या फिर डालडा आदि का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। इन्हीं चीजों के दाम अंधाधुंध बढ़ गए हैं। स्थिति यह है कि बीते दो महीने में ही खाद्य तेल की कीमतें चरम पर पहुंच गईं। फारचून रिफाइंड तेल की कीमत दो महीने पहले 95 रुपये प्रति लीटर थी, अब यही रिफाइंड 140 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। दाल भी महंगी हो गई, चाहें कोई भी दाल हो मगर 15 से लेकर 25 रुपये किलो तक कीमत बढ़ गई है। इसलिए भी रसोई का बजट बिगड़ रहा है। आखिर खाद्य पदार्थों पर महंगाई क्यों बढ़ी इसका जवाब किसी के पास नहीं है। थोक विक्रेता राजीव वाष्र्णेय बताते हैं कि उन्हें थोक में माल महंगा मिल रहा है, इसलिए रिटेलर के पास पहुंचने पर और ज्यादा महंगा हो जाता है। प्याज की कीमत भी बढ़ी
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एक महीने पहले प्याज की कीमत 30 से लेकर 35 रुपये प्रतिकिलो तक थी। अब इसके दाम भी बढ़ गए। इस समय प्याज 50 से लेकर 60 रुपये तक मिल रही है, जबकि कोरोना काल में तो यही प्याज 20 रुपये प्रति किलो तक बिकी थी। अगर आने वाले दिनों में प्याज की कीमत और बढ़ती है तो यह थाली में बहुत कम दिखाई देगी। दालों के रेट
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मूंग की दाल 100
मसूर की दाल 90
उड़द काली 110
उड़द धुली 120
काबली चना 110
सूखी मटर 80
डालडा 120
सरसों का तेल 140
(सभी भाव प्रति किलो में) महिलाएं बोलीं
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महंगाई चरम पर है इस वजह से हमारी रसोई का बजट बिगड़ रहा है। सरकार को खाद्य पदार्थों की कीमतों पर तत्काल लगाम लगानी चाहिए।
- नीतू सिंह दाल नित उपयोग में लाई जाती है। सबसे ज्यादा खर्च इन्हीं चीजों पर होता है। इसलिए महंगाई पर अंकुश लगे और खाद्य वस्तुओं की कीमतें घटाई जाएं।
- संध्या गौतम आमतौर पर लोग महीने का राशन एक बार में खरीदते हैं। पहले जितने का सामान खरीदते थे, उससे अब 20 फीसद अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं।
- अंजली बाजपेयी सबसे ज्यादा खाद्य तेलों पर महंगाई बढ़ी है। अगर इसी तरह कीमतें बढ़ती रहीं तो निश्चित तौर पर रसोई का बजट और ज्यादा बिगड़ेगा। सरकार इस ओर ध्यान दे।
- इंदु वाष्र्णेय