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हर घर से एक रुपया लेकर लड़ लिया था चुनाव

मतदाताओं से संपर्क करने के लिए जाते थे संपन्न घरों के लोगों से एक रुपये की मांग करते थे और उन्हें पैसे मिल जाते थे प्रेमपाल सम्राट

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 05:05 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 05:05 AM (IST)
हर घर से एक रुपया लेकर लड़ लिया था चुनाव

जासं, एटा: वर्ष 1985 का दौर था, जब कांग्रेस के प्रेमपाल सम्राट जलेसर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे और वे जीते भी। पूर्व विधायक बताते हैं कि कांग्रेस ने उन्हें टिकट दे दिया और कह दिया कि चुनाव लड़ो, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। उस समय एक रुपये की कीमत काफी होती थी। वे कहते हैं कि जब वे मतदाताओं से संपर्क करने के लिए जाते थे तो संपन्न घरों के लोगों से एक रुपये की मांग करते थे और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए पैसे मिल जाते थे। चुनाव में हर रोज उनके पास गाड़ी नहीं होती थी, अधिकांशत: चुनाव प्रचार पैदल ही किया।

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वर्ष 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने प्रेमपाल सिंह सम्राट को कांग्रेस से टिकट दिलाया था। उस दौरान भाजपा के माधव नट चुनाव लड़ रहे थे। इस चुनाव में प्रेमपाल को 23437 और माधव को 10209 वोट मिले थे। प्रेमपाल का चुनाव बहुत ही सादा था। वे बताते हैं कि हमारे पास चुनाव लड़ने को पैसे नहीं थे और न ही गाड़ियां थीं, जबकि अन्य दलों के लोग गाड़ियों से प्रचार करते थे। ऐसे में हम जहां भी जाते थे वहीं से एक रुपया चुनाव लड़ने के लिए मांगते थे। इस तरह से दिन में पैसा इकट्ठा हो जाता था, जिससे अगले दिन का खर्चा चलता था। उस समय चुनाव प्रचार के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, कांग्रेस नेता वीर बहादुर सिंह, यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष संजय सिंह जैसे नेता आए थे। उन्होंने बताया कि मतदान को जब कुछ दिन शेष रह गए तो एक समर्थक ने बेहद पुरानी जीप दे दी, इसके बाद यह जीप घर बन गई। रात को इसी जीप में सोते थे और सुबह होते ही तीन-चार समर्थकों के साथ अगले गांव के लिए चल देते थे। जिस समर्थक ने जीप दी थी वे कभी-कभी अपनी गाड़ी मंगा लेते थे। ऐसे में कभी पैदल चलकर तो कभी साइकिल से गांवों में पहुंचना होता था। उस समय जनता ने बहुत प्यार दिया और चुनाव जीत गए। जब लोकसभा में कूदे प्रेमपाल --

पूर्व विधायक प्रेमपाल सम्राट वर्ष 1994 में लोकसभा की दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए थे। विपक्ष ने महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी कर दी थी, जिसका विरोध जताने के लिए प्रेमपाल ने छलांग लगा दी। इससे पहले वे 1989 में सोनिया गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस दफ्तर के सामने पेड़ पर चढ़ गए। उस समय उन्हें मुश्किलों में उतारा गया।


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