स्वच्छता के साथ संचारी रोगों की रोकथाम के प्रयास
जागरण संवाददाता, एटा: संचारी रोगों की रोकथाम के लिए एक जुलाई से शुरू हुआ अभियान शिक्षा विभाग के स्तर पर सक्रिय होता नजर आ रहा है। दूसरी ओर अन्य विभाग अभी भी लापरवाह बने हुए हैं।
शासन के निर्देश पर जुलाई की शुरुआत होते ही संचारी रोगों की रोकथाम के लिए जागरूकता के साथ स्वच्छता को लेकर भी निर्देश दिए गए। चार दिन गुजर जाने के बाद ग्राम पंचायतें संचारी रोगों की रोकथाम के लिए अभी तक लापरवाह बनी हुई हैं। दूसरी ओर स्वास्थ्य और पंचायती राज विभाग भी स्कूलों की जागरूकता पर ही निर्भर नजर आ रहे हैं। उधर, एक जुलाई के बाद से ही जिले के प्राइमरी व जूनियर स्कूलों के अलावा माध्यमिक स्कूलों में भी संचारी रोगों के लिए जागरूकता के साथ-साथ साफ सफाई का काम भी शिक्षकों ने निजी संसाधनों के जरिए कराना शुरू कर दिया है। ज्यादातर स्कूलों में जलभराव या फिर गंदगी को हटाने के साथ-साथ एंटी लारवा दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर स्वच्छता शपथ के साथ संक्रामक रोगों से बचाव के लिए उपाय भी बताए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्कूली स्तर पर नोडल शिक्षकों के जरिए जो उद्देश्य तय किया गया, उसके अनुरूप गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। खास समस्या तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग या ग्राम पंचायतें एंटी लारवा दवाओं का छिड़काव कराना तो दूर स्कूलों को उपलब्धता भी नहीं करा रही है। बेसिक शिक्षा के अलावा माध्यमिक शिक्षा में भी संचारी रोग माह के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों का रोस्टर जारी कर अभी से जागरूकता को रफ्तार देने के निर्देश दिए गए हैं। बारिश शुरू हो जाने की स्थिति में जागरूकता अभियान जितना तेज होना चाहिए उतना अभी भी कई विभागों की अरुचि के कारण दिखाई नहीं दे रहा। सीएमओ डा. उमेश त्रिपाठी का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार कार्य कर रही है। जिन विभागों का सहयोग नहीं मिल रहा उन्हें भी सक्रियता बढ़ाने के लिए जल्दी समीक्षा बैठक में कहा जाएगा।
ग्राम स्वच्छता समितियां निष्क्रिय
-अभियान शुरू होने के बाद अभी तक ग्राम स्वच्छता समिति पूरी तरह से निष्क्रिय नजर आ रही है। ग्राम प्रधान भी रुचि नहीं ले रहे और न ही स्वच्छता समिति के खातों में आने वाली धनराशि का उपयोग ही किया जा रहा है।
सफाईकर्मी भी गांवों से नदारद
--संचारी रोग रोकथाम के लिए अभियान शुरू होने के बाद स्वच्छता पर जोर है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सफाई कर्मी न पहुंचने के कारण स्वच्छता व्यवस्था ध्वस्त है। यहां तक की नालियों की सफाई और जलभराव वाले स्थलों पर रोगों की रोकथाम के प्रति गंभीरता नहीं है।