आम है रसीला, मगर असर है जहरीला
एटा फलों के राजा आम का सीजन शुरू हो गया। खाने में इसका स्वाद रसीला भी है।
जागरण संवाददाता, एटा: फलों के राजा आम का सीजन शुरू हो गया। खाने में इसका स्वाद रसीला भी है। स्वाद के धंधे में आम के स्वाद को जहरीला बनाया जा रहा है। लोग खरीदते भी हैं और स्वाद में भूल जाते हैं कि कैल्शियम कार्बाइड से पकाए जाने वाला आम उनकी सेहत खराब कर रहा है। शहर में ही नहीं बल्कि जिले के कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों में भी कार्बाइड के धड़ल्ले से प्रयोग ने जनस्वास्थ्य के लिए खतरा बड़ा दिया है। जिम्मेदार आंखें मूदे रहते हैं। कारोबारी जल्दी फल पकाकर मुनाफा कमाने के चक्कर में सेहत से खिलवाड़ करने में नहीं चूकते।
अभी तो फल मंडी में बाहरी आम की आवक हो रही है। मई के अंत और जून के महीने में स्थानीय प्रजातियों का आम भी आने वाला है। सब रसीला स्वाद चखने को तैयार हैं। खरीदते वक्त भूल जाते हैं कि परखा जाए कि आम प्राकृतिक रूप से पका है या फिर कार्बाइड का प्रयोग किया गया है। जानकारी पर पता लगा कि थोक व्यापारी बड़े वाहनों में कच्चे आम मंगाते हैं ताकि बिकवाली के दौरान समय भी लग जाए तो कोई घाटा न हो। बिक्री के अनुरूप आम को कार्बाइड से 30 से 40 घंटे में पका दिया जाता है। इससे आम की आपूर्ति डिमांड के अनुरूप हो जाती है और खराबी का डर नहीं रहता। यही आम छोटे विक्रेताओं से लोगों के घर तक पहुंचते हैं।
एटा शहर में ही दर्जनों गोदामों पर यह काम होता है। वही कस्बाई क्षेत्रों में भी कार्बाइड से आम पकाने का प्रचलन तेज हो चुका है। खास बात तो यह है कि कार्बाइड प्रतिबंधित होने के बावजूद शहर में ही परचून की दुकानों या कुछ खास विक्रेताओं के यहां उपलब्ध हो जाता है। आज तक जहरीले कार्बाइड पर अंकुश को सब जिम्मेदार आंखें मूदे ही नजर आते हैं। जरूरी है पहचान कर खरीदना
कृषि वैज्ञानिक डा. वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि कार्बाइड से आम का फल चित्तेदार हो जाता है। ऊपरी सतह भी सिकुडन दर्शाती है, जो स्वाद प्राकृतिक आम में होता है वह नहीं होता। अच्छा यह है कि खुद कच्चे आम को अखबारी कागज में लपेटकर रखें, जो एक सप्ताह में पक जाएगा। स्वाद भी मिलेगा और स्वास्थ्य भी प्रभावित नहीं होगा। बाजार से खरीदे आम को आधा घंटा पानी में डालकर खाना ही हितकर है।
कार्बाइड से बड़े नुकसान
- कार्बाइड केमिकल से पके आम तंत्र का तंत्र को खराब कर सकते हैं।
- इसके असर से अक्सर पेट में दर्द की समस्या बढ़ती है।
- अधिक प्रभाव पर शरीर को लकवा तक मार सकता है।
- गर्मी में डायरिया और दस्त के लिए कार्बाइड आम का सेवन भी मुख्य कारण है।
- शरीर के विभिन्न हिस्सों में खुजली की शिकायत हो सकती है।
- कार्बाइड सने हाथ आंखों पर पहुंचने से रोशनी जाने का खतरा रहता है।
- इससे उत्पादित गैस के संपर्क में रहने से फेंफड़ा रोग भी पनपते हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग निष्क्रिय
खाद्य सुरक्षा के जिम्मेदार मिलावटी खाद्य पदार्थो के विरुद्ध अभियान चलाते हैं। इसके बावजूद आम के सीजन में कार्बाइड का प्रयोग होने के मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं होती। सब आंखें मूदे रहते हैं। यही नहीं केला, पपीता को पकाने में भी केमिकल प्रयोग पर अंकुश नहीं है।