आचार्य ससंघ का चातुर्मास पूरा, हुआ फफोतू विहार
श्रद्धालुओं ने भावुक होकर विदा किए गणाचार्य जिन शासन के जयकारों के गूंज उठे विहार के मार्ग
जासं, एटा: देवोत्थान एकादशी का पर्व समूचे जैन समाज के लिए श्रद्धा और भावुकता से ओतप्रोत रहा। जहां वर्षाकाल का चातुर्मास पूराकर अगले पढ़ाव को प्रस्थान कर रहे गणाचार्य व उनके ससंघ को श्रद्धालु भावभानी विदाई दे रहे थे। गणाचार्य ससंघ के विहार के मार्ग श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजते रहे।
देवशयनी एकादशी से लेकर देव प्रबोधिनी एकादशी तक चार माह का वर्षाकाल शास्त्रों में संतों व ग्रहस्थों के लिए चातुर्मास घोषित है। ऐसे में समूचे जैन समाज ने इस काल में श्रद्धापूर्वक गणाचार्य विराग सागर व उनके ससंघ को चातुर्मास कराया। मंदिर कल्याण स्त्रोत, पंच कल्याणक आदि विधान का आयेाजन हुआ। एकादशी को चातुर्मास पूरा होने पर अपने गंतव्य के लिए जब गणाचार्य के साथ उनका ससंघ ने प्रस्थान किया तो समूचा समाज भावुक हो उठा। गणाचार्य ने बताया कि साधु बहते पानी के समान होता है। जिस प्रकार पानी एक जगह एकत्रित हो तो वहां तालाब बना देगा और गंदा हो जाएगा। ऐसे में उसे हमेशा बहते रहना चाहिए। ऐसे ही साधु को भी निरंतर प्रवास करना चाहिए। लोगों ने भावभीनी विदाई देते हुए गणाचार्य को विहार कराया।
मीडिया प्रभारी आलोक जैन ने बताया कि आज मुनिराज का प्रवास फफोतू रहेगा। इसके बाद वे इटावा को प्रस्थान कर जाएंगे। अध्यक्ष सुरेश चंद्र जैन, मीडिया प्रभारी आलोक जैन, विश्वलता जैन, मुकेश जैन, बौबी जैन, सुधीर कुमार जैन, दीपक जैन, आरती जैन, दीपिका जैन, मौनी जैन, सिद्दी जैन, विकास जैन, सीमा जैन, सोना जैन, दिया जैन, संदीप जैन के साथ काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।