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एटा में राशन की 'परखी' में लाखों का खेल

जांच को निकाले अनाज से गोदामों में बन जाते हैं नए बोरे हर माह औसतन 20 लाख रुपये के खाद्यान्न का गोलमाल

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 06:17 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 06:17 AM (IST)
एटा में राशन की 'परखी' में लाखों का खेल
एटा में राशन की 'परखी' में लाखों का खेल

एटा: गरीबों को राशन वितरण व्यवस्था में परखी भ्रष्टाचार का पर्याय बनी हुई है। गोदामों पर अनाज की परख के नाम पर बोरे से निकाले जाने वाले अनाज की मात्रा भले ही कम लगती हो, लेकिन राशन का उठान पूरा होने के बाद इस अनाज की मात्रा बहुत हो जाती है। इसे बोरियों में भरकर बाजार में बेच दिया जाता है। जिले में करीब 82 हजार बोरा गेहूं और 55 हजार बोरा चावल हर महीने गोदामों से डीलरों को दिया जाता है। एक बोरे पर एक से डेढ़ किलो तक वजन कम होता ही है। कुल बचे अनाज का बाजार मूल्य 20 लाख रुपये से ज्यादा बन जाता है। यह कमाई गोदाम के ठेकेदार-प्रभारियों और अधिकारियों-कर्मचारियों में बंट जाती है। ऐसे होता है गोलमाल:

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जिला मुख्यालय और ब्लाकों पर स्थित गोदाम में राशन की गुणवत्ता की परख के लिए लोहे की पत्ती का एक उपकरण (परखी) बोरी में घुसाई जाती है। वापस निकालने पर इसमें मुट्ठी भर से ज्यादा अन्न निकलता है। जबकि बोरी फटने से अनाज गिरता रहता है। बोरियों से निकलने वाले इस गेहूं और चावल को इकट्ठा कर लिया जाता है, जो सीधे तौर पर नंबर दो की कमाई हो जाती है।

एक बोरी पर एक से डेढ़ किलो तक अनाज कम मिलना मामूली बात है, कभी-कभी यह मात्रा ज्यादा भी हो जाती है। जबकि हम लोगों पर राशन पूरा बांटने का दबाव बनाया जाता है।

- सुधींद्र कुमार, जिला सचिव आल इंडिया फेयर प्राइज एसोसिएशन गोदाम से राशन उठाने के लिए अपने वाहन और भाड़े की व्यवस्था हमें करनी होती है। बोरी का वजन तो कहीं तोल में रखा ही नहीं जाता, इसके अलावा भी मात्रा कम ही मिलती है।

- सुरेश चंद्र, अध्यक्ष आल इंडिया फेयर प्राइज एसोसिएशन

गोदामों से डीलर तक पहुंचने में राशन निर्धारित से कम होने की शिकायतें बनी हुई हैं। इस अव्यवस्था को खत्म करने के लिए सिगल स्टेज डोर स्टेप डिलीवरी सिस्टम लागू किया गया है। जिले में अभी इसके लिए टेंडर नहीं हुआ है। टेंडर होते ही कम राशन की शिकायतें निश्चित रूप से दूर हो जाएंगी।

- राजीव कुमार मिश्र, डीएसओ


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