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भाई का जनपद बदला तो बहन ने भुना लिया मौका

दोनों की नियुक्ति में छह साल का रहा अंतर फिरोजाबाद जिला बनने के बाद बहन ने मांगी थी मृतकाश्रित नौकरी

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 05:11 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 05:11 AM (IST)
भाई का जनपद बदला तो बहन ने भुना लिया मौका
भाई का जनपद बदला तो बहन ने भुना लिया मौका

जासं, एटा: निधौलीकलां क्षेत्र में दोहरी अनुकंपा नौकरी पाने के मामले में बर्खास्त शिक्षकों का दिमागी खेल सामने आया है। पिता की मृत्यु पर पहले ही भाई के नौकरी पाने के बाद उसके दूसरे जिले में जाते ही बहन ने विभाग को गुमराह किया और अनुकंपा नौकरी पाई थी। खास बात तो यह है कि भाई को दूसरे जिले में तबादला होते साल भी न हुआ और बहन ने मौका भुना लिया।

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निधौलीकलां क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय पलिया पर नियुक्त शिक्षिका विरिजा देवी की फर्जी नियुक्ति उजागर होने के बाद बर्खास्तगी तथा उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात रहे जयप्रकाश की मृत्यु के बाद आश्रित के रूप में वर्ष 1984 में पुत्र प्रेम किशोर आमोरिया की नियुक्ति हुई थी। फरवरी 1989 में नया फिरोजाबाद जनपद बन गया। एटा जिले के दर्जनों गांव फिरोजाबाद जिले में शामिल हुए तो भाई प्रेम किशोर का तबादला स्वत: ही फिरोजाबाद हो गया। भाई प्रेम किशोर का रिकार्ड दूसरे जिले में चला गया। इसी के बाद एटा जिले में दूसरी अनुकंपा नियुक्ति का दिमागी खेल चल गया। बहन विरिजा देवी ने भी मौका पाकर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया और अवागढ़ विकास खंड में पहली नियुक्ति 1990 में प्राप्त कर ली। मामला उजागर होने के बाद अब लोग मृतक आश्रित कोटे का दोहरा लाभ लेने के लिए फर्जीवाड़ा को देख आश्चर्यचकित हैं। उधर, विभाग भी अपने स्तर से पूर्व में हुई अनुकंपा नियुक्तियों की फाइलों में उलझ गया है कि कहीं और मामले तो इस तरह के नहीं हैं। बीएसए संजय सिंह का कहना है कि इस तरह के किसी दूसरे मामले की शिकायत नहीं है फिर भी विभागीय स्तर पर पड़ताल कराई जा रही है। लिपिक छोड़कर भाग गया नौकरी

-अनुकंपा नौकरी का दोहरा लाभ पाने वाले भले ही कुछ छुपे रुस्तम हों, लेकिन शिकायतों पर कुछ कर्मी नौकरी भी छोड़ भागे हैं। डेढ़ दशक पूर्व माध्यमिक शिक्षा विभाग में अभी एक लिपिक के विरुद्ध दोहरी अनुकंपा नौकरी पाने की शिकायत हुई। इस मामले में खास बात यह रही कि लिपिक शिकायत आते ही त्यागपत्र देकर चला गया। बाद में शिकायतकर्ता त्यागपत्र से संतुष्ट होने के कारण जांच फाइलों में ही बंद होकर रह गई।


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