लॉकडाउन में टूटी तंबाकू उद्योग की कमर, उत्पादक कर रहे तौबा
जागरण संवाददाता एटा लॉकडाउन में तंबाकू उद्योग की भी कमर टूट गई है। उत्पादक किसा
जागरण संवाददाता, एटा : लॉकडाउन में तंबाकू उद्योग की भी कमर टूट गई है। उत्पादक किसान भारी घाटे में हैं, उनका माल बिक नहीं पा रहा क्योंकि बड़े कारोबारी फिलहाल उत्पादकों का माल नहीं ले रहे क्योंकि सप्लाई चैन टूटी हुई है। ऐसे में तंबाकू उत्पादक किसान अब तौबा कर रहे हैं कि तंबाकू की फसल का काम करने से पहले उन्हें भविष्य में सोचना पड़ेगा।
एटा जनपद में अलीगंज, राजा का रामपुर, जैथरा के कुछ क्षेत्रों में तंबाकू की खेती होती है। तंबाकू का रकबा 3 हजार हेक्टेयर है। 25 मार्च को जब लॉकडाउन घोषित हुआ, तभी से तंबाकू उद्योग भी चौपट हो गया। सबसे ज्यादा तंबाकू की आढ़तें राजा का रामपुर में हैं। यहां तैयार की जाने वाली तंबाकू देशभर के प्रांतों में भेजी जाती है। तहसील अलीगंज क्षेत्र में पांच दर्जन से अधिक पंजीकृत फर्में हैं। लॉकडाउन में एक हजार रुपये प्रति मन का घाटा
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स्थानीय स्तर पर तंबाकू का कारोबार 60 किलो की तौल के साथ होता है। यानी कि एक मन बराबर 60 किलो। एक मन तंबाकू की कीमत थोक में उत्पादक 2 हजार से 3 हजार रुपये प्रति मन बेच पा रहे हैं। व्यापारियों ने तंबाकू खरीदकर स्टॉक तो कर लिया, लेकिन अभी भी वे बाहर नहीं भेज पा रहे। यही तंबाकू पहले 4 से 5 हजार रुपये प्रति मन के हिसाब से जाती थी। किसानों को माल सड़ने की चिता
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लॉकडाउन से पहले तंबाकू उत्पादकों ने स्टॉक कर रखा था। उम्मीद थी कि आगे चलकर अच्छी कीमत मिलेगी, लेकिन जब माल की सप्लाई रुक गई, मगर किसानों को पैसे की जरूरत पड़ी तो सस्ती कीमत पर बेचने को मजबूर हो गए। अब सवाल यह है कि बारिश का सीजन आने वाला है, ऐसे में माल अगर खराब हो गया तो वे कहां ले जाएंगे। इस कारण उन्हें स्थानीय आढ़तों पर सस्ते में बेचनी पड़ रही है। एक बीघा खेत में 300 किलो तंबाकू पैदा होती है। व्यापारी और किसान बोले
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लॉकडाउन में तंबाकू उद्योग को भारी क्षति पहुंची है और हम लंबे समय तक इस संकट से नहीं उबर पाएंगे। सरकार को राहत देनी चाहिए।
- राकेश सिंह राठौर, तंबाकू उद्योग मालिक हमें नहीं पता था कि इस बार हमें सस्ती तंबाकू बेचनी पड़ेगी, अब हम इस बार तंबाकू की फसल नहीं करेंगे क्योंकि कीमतें बढ़ने के आसार नहीं।
- देशराज शाक्य, किसान