मौसम की बेदर्दी, हाड़ कपा रही सर्दी
रविवार को भी सुबह से छाए रहे बादलों की ओट में सूर्यदेव छुपे रहे। सुबह से शाम तक रवि के दर्शन दुर्लभ होने की स्थिति में जनमानस लगातार शीतलहर की चपेट में कपकंपाता रहा। उधर बारिश जैसी संभावना बनी रही।
जागरण संवाददाता, एटा: रविवार को भी सुबह से छाए रहे बादलों की ओट में सूर्यदेव छुपे रहे। सुबह से शाम तक रवि के दर्शन दुर्लभ होने की स्थिति में जनमानस लगातार शीतलहर की चपेट में कपकंपाता रहा। उधर बारिश जैसी संभावना बनी रही।
लगातार चौथे दिन जिले में हाड़ कंपाने वाली सर्दी में जनजीवन ठिठुरता बना रहा। हल्के कोहरे के साथ सवेरा हुआ, लेकिन बादलों के छाए रहने के मध्य ग्रामीण क्षेत्रों में कोहरा बढ़ गया। दोपहर तक बादल हटने तथा धूप खिलने का इंतजार भी पिछले दिनों की तरह अधूरा ही रह गया। बारिश होने जैसी स्थितियों के मध्य सुबह लोगों का घर से देरी से निकलना। वहीं रविवार अवकाश होने के कारण नौकरी पेशा लोग देर तक घरों में ही रहे। बाजार पर भी मौसम का असर लगातार बना हुआ है। बसों में यात्रियों की संख्या लगातार घट रही है। रविवार को यात्रियों की संख्या में और भी गिरावट नजर आई। उधर कड़ाके की सर्दी पशु पक्षियों पर भी असरदार है। ठंड से पक्षी भी गायब और उनका कलरव ग्रामीण क्षेत्रों में कम सुना जा रहा है। पशुपालक भी अपने पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर तरह-तरह के उपाय करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उधर मौसमी रोग बढ़ने के कारण चिकित्सकों के यहां भी रोगियों की संख्या में इजाफा दिख रहा है। सर्दी बच्चों और वृद्धों के साथ ही भी अन्य वर्गों को भी रोगों की चपेट में ले रही है। रविवार को शाम का मौसम भी बादल छाए रहने के मध्य बारिश का बना रहा। न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम 15 डिग्री सेल्सियस रहते हुए आद्रता 93 फीसद दर्ज की गई। पर्याप्त नहीं दिख रही व्यवस्थाएं
सर्दी शबाब पर है और गरीब तथा जरूरतमंदों के लिए प्रशासनिक व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं। भले ही जगह-जगह लोग निजी अलाव जलाकर सर्दी से राहत पाने की जुगत में हैं, लेकिन सरकारी अलाव कुछ स्थानों पर औपचारिक नजर आ रहे हैं। निकाय क्षेत्रों में रेन बसेरा गायब हैं। वही रात में अलाव की पर्याप्त व्यवस्था तथा गरीबों को कंबल वितरण की दरकार है। आलू, मटर, सरसों की चिता
खराब मौसम के मध्य बारिश की संभावना गेहूं की खेती के लिए भले ही लाभदायक हो, लेकिन आलू, मटर तथा सरसों को लेकर नुकसान की स्थिति अस्थिर बनी हुई है। अधिक आद्रता के कारण फसलों को रोग लगने की स्थिति भी बढ़ रही है।