विधानसभा चुनाव : तीन दशक में कई बार दल नहीं प्रत्याशियों को परखा
छोटी पार्टियों को हमेशा नकारते रहे मतदाता चुनावी जंग में भाजपा सपा बसपा ही रही
जासं, एटा : जनपद में तीन दशक से तीन दलों की ही राजनीति हावी रही। चुनाव के समय तमाम छोटी पार्टियां भी आईं, लेकिन केवल एक बार पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की भाजपा से नाराजगी के बाद बनी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी ने जरूर कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर दी। अधिकांश सपा, बसपा, भाजपा के बीच ही जंग हुई। 1985 के बाद से कांग्रेस यहां वनवास भी भोगती रही। इधर, कई चुनाव ऐसे हुए जिनमें मतदाताओं ने प्रत्याशियों को देखकर वोट दिए न कि उनकी पार्टी।
वर्ष 1991 में राम लहर थी, जिस पर भाजपा सवार थी। उस समय अलीगंज को छोड़कर सभी सीटें भाजपा के खाते में गईं। राम लहर में भी संघर्ष की स्थिति अधिकांश सीटों पर अलग-अलग थी। उस समय एटा में भाजपा के पीतम सिंह, निधौली कलां में भाजपा के सुधाकर वर्मा, जलेसर में भाजपा के माधव नट, सकीट में भाजपा के सूरज सिंह शाक्य चुनाव जीते, लेकिन अलीगंज सीट ऐसी रही जिस पर जनता पार्टी के अवधपाल सिंह यादव ने अपना परचम फहराया। उस समय एटा, जलेसर, सकीट में जनता पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी रही। 1993 में भाजपा के पीतम सिंह वर्मा एटा सीट पर चुनाव जीते, उन्होंने सपा के अतर सिंह को हराया, लेकिन तीसरे नंबर पर कांग्रेस रही। उसे चार फीसद वोट ही मिले। निधौलीकलां विधानसभा से सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव स्वयं चुनाव लड़े थे और उनका मुकाबला भाजपा के सुधाकर वर्मा से हुआ, कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही। अलीगंज विधानसभा में सपा के अवधपाल सिंह यादव जीते, उन्होंने भाजपा के गेंदालाल गुप्ता को हराया, जबकि जनता दल तीसरे नंबर पर रहा। इसी तरह सकीट में भाजपा के सूरज सिंह शाक्य चुनाव जीते, उनका मुकाबला जनता दल के वीरेंद्र सिंह सोलंकी से हुआ और सपा तीसरे नंबर पर रही। हर सीट पर अलग समीकरण -वर्ष 1996 के चुनाव में दलगत राजनीति से परे हटकर प्रत्याशियों को छवि और जातीयता के आधार पर चुना। उस समय एटा सीट पर सपा के शिशुपाल सिंह यादव चुनाव जीते थे और भाजपा दूसरे नंबर पर रही। तीसरे नंबर पर कांग्रेस थी, लेकिन निधौली कलां सीट पर यह समीकरण बदल गए, यहां भाजपा के ओमप्रकाश यादव जीते और कांग्रेस दूसरे नंबर पर रहते हुए मुख्य मुकाबले में आ गई। अनिल कुमार सिंह यादव कांग्रेस से थे जो चुनाव हारे, जबकि जलेसर में सपा और भाजपा के बीच ही मुकाबला हुआ। अलीगंज में संघर्ष की तस्वीर कुछ और ही रही। यहां सपा के रामेश्वर सिंह यादव जीते और बसपा के सत्यपाल सिंह राठौर चुनाव हारे, जबकि सकीट में भाजपा और सपा के बीच मुकाबला और बसपा तीसरे नंबर पर रही। वर्ष 2002 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़ राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन कर लिया था। निधौली कलां सीट पर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के ओमप्रकाश यादव और सपा के अनिल कुमार सिंह यादव के बीच मुकाबला हुआ, हालांकि सपा जीती। जलेसर में सपा, भाजपा, बसपा मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहीं। अलीगंज में सपा, बसपा और भाजपा में संघर्ष हुआ। 2007, 2012 और 2017 के चुनावों में सभी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला रहा। 2017 में मुख्य पार्टियों की स्थिति -एटा विधानसभा क्षेत्र -प्रत्याशी-पार्टी-मिले वोट
विपिन वर्मा डेविड-भाजपा-82018
जुगेंद्र सिंह यादव-सपा-61025
गजेंद्र सिंह चौहान-बसपा-41557 अलीगंज विधानसभा क्षेत्र
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प्रत्याशी-पार्टी-मिले वोट
सत्यपाल सिंह राठौर-भाजपा-88518
रामेश्वर सिंह यादव-सपा-74622
अवधपाल सिंह यादव-बसपा-46145 मारहरा विधानसभा क्षेत्र
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प्रत्याशी-पार्टी-मिले वोट
वीरेंद्र लोधी-भाजपा-92267
अमित गौरव यादव-सपा-58770
शलभ माहेश्वरी-बसपा-31827 जलेसर विधानसभा क्षेत्र
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प्रत्याशी-पार्टी-मिले वोट
संजीव दिवाकर-भाजपा-81262
रणजीत सुमन-सपा-61446
मोहन सिंह हैप्पी-बसपा-35665