एक गुट के विरोध में दूसरे गुट ने भी चुनीं अध्यक्ष
जागरण संवाददाता, एटा: एटा नगर पालिका में भाजपा बनाम सपा की जंग पूरी तरह ठन गई है। दोनों गुटों में सभ
जागरण संवाददाता, एटा: एटा नगर पालिका में भाजपा बनाम सपा की जंग पूरी तरह ठन गई है। दोनों गुटों में सभासद बंट गए हैं और अपने गुट को दूसरे से बेहतर तथा मजबूत दिखाने के लिए हर कोशिश की जा रही है। बीते दिन हुए एक गुट के चुनाव के विरोध में शुक्रवार को दूसरे गुट ने भी बैठक कर सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चुनाव किया।
दूसरे गुट के सभासदों की बैठक सपा जिलाध्यक्ष उपाध्यक्ष और सभासद सुनील यादव के गांधी मार्केट स्थित कार्यालय पर हुई। इसमें सभी सभासदों ने सर्वसम्मति से फरजाना बेगम को सभासद संघ का अध्यक्ष चुना। जबकि सुनील यादव को संरक्षक, अशोक यादव को सह संरक्षक, सुनील शर्मा को उपाध्यक्ष, विकास यादव को महासचिव, शैलेंद्र यादव को कोषाध्यक्ष, इंद्राज यादव को कानूनी सलाहकार, विशेष यादव को मीडिया प्रभारी, छोटी देवी को सचिव और कांती देवी को उपसचिव नामित किया गया। इस दौरान पालिकाध्यक्ष मीरा गांधी, पूर्व चेयरमैन राकेश गांधी, डॉ. सुआलुद्दीन वारसी, संजीव सरगम, इंतजार अली, बबलू, इकरार हुसैन, इंतजार हुसैन, आकाश कुमार बाल्मीकि, नीरज गुप्ता, अशोक यादव, नितिन दयाल, प्रदीप यादव, इसरार अहमद, राहुल यादव, इमरान खान आदि लोग मौजूद रहे। सपा पदाधिकारियों ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का स्वागत किया। दलबदलू सभासदों पर होगी कार्रवाई
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सपा जिला उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि सपा के कुछ सभासद बुलाने के बावजूद इस बैठक में नहीं आए। वो लोग दूसरे दल के साथ मिलकर पार्टी विरोधी कार्य करते हुए पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष को पत्र लिखा है। दोनों गुटों में पूर्व चेयरमैन की मौजूदगी बनी रहस्य
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सभासद गुटों में तो पूरी तरह ठनी ही है और एक-दूसरे के विरोध में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। भाजपा गुट कई मामलों में वर्तमान चेयरमैन के पति पूर्व चेयरमैन राकेश गांधी के विरोध में भी शामिल रहा है। दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। जिसके चलते पालिका का संचालन और शहर के कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं। जबकि सपा गुट से पूर्व चेयरमैन के संबंध बेहतर बताए जाते हैं। हालांकि उन्होंने बीते दिन भाजपा के गुट के चुनाव में पहुंचकर सबको चौंका दिया था। जिसे लेकर लोग दोनों में सुलह-समझौता होने के कयास लगा रहे थे। लेकिन इसके अगले ही दिन सपा गुट के चुनाव में शामिल होकर उन्होंने इन कयासों पर एक तरह से विराम लगा दिया। दोनों ओर उनकी मौजूदगी लोगों के लिए रहस्य बन गई है।