गेहूं खरीद में तेजी, भुगतान में हो रही देरी
15 जून को बंद हो जाएंगे क्रय केंद्र अभी तक 33 करोड़ रुपये किसानों का बकाया
जासं, एटा: जिले में गेहूं की खरीद अंतिम चरण में है। 89 क्रय केंद्रों पर भले ही इस पखवाड़े गेहूं खरीद तेजी से हुई है, लेकिन भुगतान के मामले में किसानों की परेशानियां कम नहीं हैं। लगभग 33 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों का लटका पड़ा है। भले ही 72 घंटे में भुगतान के दावे किए गए, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया।
सरकार ने इस बार गेहूं खरीद का लक्ष्य तय न करते हुए क्रय एजेंसियों को ज्यादा से ज्यादा किसानों का गेहूं खरीदने की छूट दी थी। स्थिति यह रही कि मई के दूसरे पखवाड़े से लेकर अब तक जिले में गेहूं खरीद का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। इस दौरान किसानों द्वारा क्रय केंद्रों के बंद होने या फिर अन्य समस्याओं को लेकर शिकायतें की जाती रहीं। दूसरी ओर बिना जमीन वाले लोगों का भी गेहूं खरीदने के आरोप लगे हैं। फिर भी गेहूं खरीद के मामले में जिला बढ़त की ओर है। अब तक 64 हजार 922 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा सका है। पिछले साल इस अवधि तक गेहूं की खरीद 45 हजार 682 मीट्रिक टन ही थी। गेहूं खरीद के दौरान 89 क्रय केंद्रों पर 12822 लाख रुपये का गेहूं खरीदा जा चुका है। इसके सापेक्ष भुगतान 9529 लाख का हुआ है। अभी भी 3293 लाख रुपया किसानों को भुगतान के लिए शेष है। गेहूं की खरीद में तेजी के मध्य अब तक 17 हजार 112 किसान लाभांवित किए गए हैं।
जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी नंदकिशोर का कहना है कि गेहूं बिकवाली के बाद किसानों को जल्द भुगतान का पूरा प्रयास किया जा रहा है। कुछ त्रुटियों के कारण भी सीमित किसानों को ही भुगतान में देरी हुई है, भुगतान समय से होगा। जिले में गेहूं खरीद के सापेक्ष भुगतान की स्थिति:
क्रय एजेंसी-कुल केंद्र-क्रय गेहूं की धनराशि-बकाया भुगतान
खाद्य विभाग -9-1236-199.54
पीसीएफ-45-6075-1980.97
यूपीएसएस-10-1385-190.79
पीसीयू-23-3583-872.11
मंडी समिति-1-268-35.49
भारतीय खाद्य निगम-1-272-13.64
(धनराशि लाख में है।)
किसानों को समर्थन मूल्य देने की आड़ में भुगतान में देरी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जितनी देरी से भुगतान मिले उस समय की ब्याज भी किसानों को दी जाए।
- आदेश कुमार, किसान जब किसानों को ऋण दिया जाता है तो बैंकें तुरंत ब्याज शुरू कर देती हैं। इसी तरह किसानों का भी भुगतान त्वरित होना चाहिए। गेहूं बेचने के बाद भी आर्थिक समस्या बनी हुई है।
- कमल सिंह, किसान