1546 आशा कार्यकर्ताओं ने खोजे सिर्फ 10 मरीज
10 से 24 मार्च तक आयोजित किया गया दस्तक पखवाड़ा टीबी रोगियों को खोजने के लिए हुई थी कवायद
जासं, एटा: 1546 कर्मचारियों की फौज और 15 दिन की भागदौड़। नतीजा कुल 10 मरीजों का चिन्हांकन। यह हाल पिछले दिनों चलाए गए दस्तक पखवाड़ा में शामिल किए गए टीबी रोगी खोज कार्यक्रम का है।
ऋतु परिवर्तन के दौरान संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उद्देश्य से दस्तक पखवाड़ा मनाया जाता है। शासन ने इस कार्यक्रम में ही टीबी रोगियों की पहचान का काम भी शामिल कर दिया। योजना थी कि आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से टीबी रोग से संबंधित लक्षणों के बारे में जानकारी करेंगी। किसी सदस्य में ऐसे लक्षण मिलते हैं तो क्षय रोग इकाई को सूचना देंगी। कार्यक्रम में 1546 आशा कार्यकर्ता तैनात की गईं। उनकी सूचना के आधार पर कुल 32 लोगों की जांच की गई। इसमें केवल 10 लोगों में रोग की पुष्टि हुई। 128 लोगों ने जांच कराने से किया इन्कार: आशा कार्यकर्ताओं का कार्य निराशाजनक रहा। दूसरी ओर आमजन ने भी बीमारी की रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे विशेष अभियान में गैर जिम्मेदाराना हरकत की। पखवाड़े के दौरान जब घर-घर लोगों से पूछताछ की गई तो आशा कार्यकर्ताओं को 160 लोगों ने खांसी, वजन में कमी जैसे टीबी से मिलते-जुलते लक्षण बताए। इनके आधार पर क्षय रोग इकाई की टीमें इन लोगों के घर पहुंचीं तो 128 ने किसी तरह के लक्षण होने से ही इन्कार कर दिया। जांच से बचने के लिए यह लापरवाही बरती गई।
जिन 10 लोगों में बीमारी की पुष्टि हुई है, उनका इलाज शुरू करा दिया गया है। जबकि संभावित लक्षण वाले जिन लोगों ने जांच नहीं कराई, उन्हें समझाकर जांच के लिए तैयार करने को कर्मचारी भेजे जा रहे हैं। सभी की जांच कराई जाएगी।
- डा. सीएल यादव, जिला क्षय रोग अधिकारी