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खुले में शौच जाने को मजबूर बेटियां

देवरिया: खुले में शौच के खिलाफ केंद्र व प्रदेश सरकार की मुहिम जनपद में कितना असरदार है,

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Apr 2018 11:41 PM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 11:41 PM (IST)
खुले में शौच जाने को मजबूर बेटियां
खुले में शौच जाने को मजबूर बेटियां

देवरिया: खुले में शौच के खिलाफ केंद्र व प्रदेश सरकार की मुहिम जनपद में कितना असरदार है, इसका अंदाजा परिषदीय विद्यालयों के बदहाल शौचालयों से लगा सकते हैं। कहीं शौचालय प्रयोग के लायक नहीं तो कहीं शौचालय के फाटक आदि तोड़ दिए गए है। ऐसे में यहां अध्ययनरत बेटे-बेटियों को खुले में शौच जाना पड़ता है। जेई व एईएस प्रभावित जनपद होने के नाते सरकार ने दस्तक योजना शुरू करते हुए बच्चों के माध्यम से जागरूकता की पहल की है, यह योजना कैसे परवान चढ़ेगी, जब बच्चे खुले में शौच जाएंगे।

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बानगी के तौर पर देखें तो नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कसया रोड मेहड़ा पुरवा में करीब 48 बच्चे अध्ययनरत हैं। इस विद्यालय में गरीब वर्ग के बच्चे ही पढ़ने आते हैं। बच्चों के लिए तीन साल पहले शौचालय का निर्माण कराया गया, लेकिन शौचालय निर्माण के छह महीने बाद ही फाटक व वाश बेसिन आदि तोड़ दिए गए। इसके बाद यह शौचालय अनुपयोगी हो गया। बच्चों को खुले में शौच जाने की मजबूरी है। यही नहीं, विद्यालय में दो महिला शिक्षामित्र भी कार्यरत हैं। इसके अलावा शहर के रामगुलाम टोला स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में भी शौचालय की दशा खराब है। यही नहीं, विद्यालय परिसर में भी साफ-सफाई को लेकर जिम्मेदार सजग नहीं हैं। प्रदेश सरकार ने दो अप्रैल से ऐसे में जेई व एईएस से लड़ने के लिए स्कूली बच्चों को माध्यम बनाया है। बच्चों को खेल-खेल में जागरूक किया जाएगा, ताकि वे गांवों में अपने आस-पास के लोगों को जागरूक करेंगे। ऐसे में बदहाल शौचालयों से स्वच्छता की उम्मीद महज दिखावा है।

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-तीन साल पहले मैंने शौचालय का निर्माण कराया था, लेकिन अराजकतत्वों ने शौचालय का फाटक छह माह बाद ही तोड़ दिया। वाशबेसिन भी तोड़ दिया गया। शौचालय किसी काम लायक नहीं बचा है। इसकी शिकायत विभाग के अधिकारियों के पास लिखित रूप से कर दी गई है।

-भारत भूषण, प्रधानाध्यापक व एबीआरसी सदर

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