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वर्ष जल संचयन से बुझ रही पशु-पक्षियों की प्यास

जागरण संवाददाता पड़री बाजार देवरिया मौसम का तापमान लगातार बढ़ रहा है। गर्मी व तपिश स

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 11:53 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 11:53 PM (IST)
वर्ष जल संचयन से बुझ रही पशु-पक्षियों की प्यास
वर्ष जल संचयन से बुझ रही पशु-पक्षियों की प्यास

जागरण संवाददाता, पड़री बाजार, देवरिया : मौसम का तापमान लगातार बढ़ रहा है। गर्मी व तपिश से क्षेत्र में कई गांवों में पानी का संकट है। दुबौली गांव में वर्षा जल संचयन की एक सोच से पोखरे में लबालब पानी भरा रहता है। इससे पशु-पक्षियों की प्यास बुझ रही है। यह पोखरा जीव जंतुओं के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है।

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विकास खंड सलेमपुर क्षेत्र के दुबौली गांव में करीब डेढ़ एकड़ में फैला यह पोखरा बदहाल था। वर्ष 2009-10 में गांव के उस वक्त के प्रधान हरिशंकर यादव ने मझौली शिव मंदिर परिसर स्थित वर्षा जल से लबालब पोखरे से प्रेरणा लेकर अपने गांव में भी बदहाल पोखरे को नया आकार देने का संकल्प लिया। करीब पांच लाख की लागत से खोदाई कर मेड़बंदी कराकर पोखरे का पुनरोद्धार कराया। एक किनारे पर सीढ़ी व गेट बनवाया और चारो तरफ पौधरोपण कराया। नतीजा यह हुआ कि जो वर्षा का पानी पहले बहकर निकल जाया करता था। वह पोखरे में संचित होने लगा, जो पशु-पक्षियों के साथ- साथ जलीय जीवों के लिए जीवनदायिनी बन गया है। गांव के अजय दूबे कहते हैं कि जीव- जंतुओं के लिए वर्षा जल संचयन जरूरी है।

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जल एक ऐसी संपदा है जिसका संचयन जरूरी है। जल, जीवन के लिए सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है। चाहे पशु - पक्षी हों अथवा मानव सबका जीवन इसी पर निर्भर हैं।

डा. राकेश कुमार सिंह, तकनीकी विशेषज्ञ

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भूमि पर बारिश के पानी को इकट्ठा करना बहुत ही असरदार और पारंपरिक तकनीक है। इससे छोटे तालाबों, पोखरों, भूमिगत टैंकों, बांध आदि से जल संरक्षित किया जा सकता है।

डा. शैलेन्द्र प्रताप सिंह

पर्यावरणविद्


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